Book Title: Jain Agam Granthome Panchmatvad
Author(s): Vandana Mehta
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 374
________________ 337 टिप्पण (Notes & References) 526. सूत्रकृतांग, I.12.4 लवावसक्की य अणागएहिं णो किरियमाहंसु अकिरियआया।। 527. सूत्रकृतांगवृत्ति, पृ. 141 क्रियाम् जीवादिपदार्थोऽस्तीत्यादिकां वदितुं शीलं येषां ते क्रियावादिनः तथाऽक्रियां-नास्तित्यादिकां वदितुं शीलं येषां ते अक्रियावादिनः । 528. सूत्रकृतांगवृत्ति, पृ. 510 ...विद्यमानायामप्यस्तीत्यादिकायां क्रियांयां निरूद्धप्रज्ञास्तीर्थिका अक्रियावादमाश्रिता इति। ...क्रिया, नापि च तज्जनिनः कर्म बन्ध इति। तदेवमक्रियावादिनो नास्तिकवादिनः। 529. सूत्रकृतांग, I.12.7 णाइच्चो उदेइ ण अत्थमेइ ण चंदिमा वड्डति हायती वा। सलिला ण संदंति ण वंति वाया वंझे णितिए कसिणे हु लोए।। 530. दशाश्रुतस्कन्ध, 6.3 अकिरियावादी यावि भवति-नाहियवादी नाहियपण्णे नाहियदिट्ठी, नो सम्मावादी, नो नितियावादी, न संति परलोगवादी, णत्थि इहलोए णत्थि परलोए णत्थि माता णत्थि पिता णत्थि अरहंता णत्थि चक्कवट्टी णत्थि बलदेवा णत्थि वासुदेवा णत्थि सुक्कडदुक्कडाणं फलवित्तिविसेसो, णो सुचिण्णा कम्मा सुचिण्णंफलाभवंति, णो दुचिण्णा कम्मा दुचिण्णफला भवंति अफले कल्लाण पावए, णो पच्चायंति जीवा, णत्थि णिरयादि ह्व णत्थि सिद्धि। 531. भगवतीवृत्ति, पत्र-944 अन्येत्वाहुः–अक्रियावादिनो ये ब्रुवते किं क्रियया चित्तशुद्धिरेव कार्या, ते च बौद्धा इति। 532. सूत्रकृतांग, I.1.1.51 अहावरं पुरक्खायं किरियावाइदरिसणं कम्मचिंतापणट्ठाणं दुक्खखंधविवद्धणं। 533. अंगुत्तरनिकाय अट्ठनिपात, सीहसुत, 8.9, पृ. 373 (बौ.भा.वा.प्र.) __“अत्थि, सीह, परियायो, येन मं परियायेन सम्मा वदमानो वदेय्य- अकिरियवादो समणो गोतमा अकिरियाय धम्म देसेति, तेन च सावके विनेती" ति। 534. सूत्रकृतांग, I.12.6, 8 ते एवमक्खंति अबुज्झमाणा विरूवरूवाणिह अकिरियाता। जमाइइत्ता बहवे मणूसा भमंति संसारमणोवदग्गं ।।6 जहा हि अन्धे सह जोइणा वि रूवाणि णो पस्सइ हीणणेत्ते। संतं पि ते एवमकिरियआता किरियं ण पस्संति विरुद्धपण्णा।।8

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