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जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद
दिया तथा एक पुत्र इस आधार पर विवाह करने से मना कर देता है, कुछ बहुएं अपने सास-ससुर का कम सम्मान करती हैं । '
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उस समय पारिवारिक जीवन का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि परिवार में माता-पिता का सम्मानजनक स्थान था ही इसके अतिरिक्त धर्मगुरुओं का भी आदरणीय स्थान था । लोग उनके पास धर्म-चर्चा आदि किया करते थे और कई बार तो उनसे प्रभावित हो प्रव्रजित हो जाते थे ।
विवाह व्यवस्था
विवाह - व्यवस्था प्राचीन काल से लेकर आज तक मानवीय समाज व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग रही है। छठी शताब्दी ई. पू. के महावीरकालीन समाज में भी विवाह-प्रथा प्रचलित थी किन्तु जैन धर्म के निवृत्तिप्रधान होने के कारण जैनधर्म में विवाह - व्यवस्था को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया गया। इसके अलावा विवाह - विधि भी स्पष्ट नहीं थी । जैन आगमों और आगमिक व्याख्याओं से विवाह सम्बन्धी जो सूचनाएँ प्राप्त होती हैं, उसके अनुसार सर्वप्रथम यौगलिक युग में युगल रूप में उत्पन्न होने वाले भाई-बहिन युवावस्था में पति-पत्नी बन जाते । आवश्यक निर्युक्ति के अनुसार सर्वप्रथम विवाह प्रथा की शुरुआत ऋषभदेव से हुई (आवश्यकनिर्युक्ति, प्रथम भाग, गाथा 194-195 [55] ) । उन्होंने यौगलिक पति-पत्नी सम्बन्ध ( विवाह - प्रणाली) को अस्वीकार कर दिया ।
छठी शताब्दी ई.पू. में विवाह सबके लिए प्रायः आवश्यक माना गया । फिर भी कुछ ऐसे उदाहरण भी देखे जाते हैं जहां व्यक्ति किसी धर्म विशेष के प्रभाव के कारण संसार को त्यागकर, संन्यास भी ग्रहण करते थे।
1. There are also instances which reveal that amity did not exist between one member of the family and the other daughters-in-law and mothers-in-law often sought refuge in nunneries to escape from the tyranny of one anothers. One daughter-in-law even conspired to kill her mother-in-law. In one case, four daughters-in-law drove their father-in-law out of the house. We have the case of a son who refused to marry on the ground that wives generally showed scant respect to their parents-in-law and even domineered over them A.S. Altekar, Position of Women in Hindu Civilization, Benaras, 1938, pp. 107-108 (also quoted by K.C. Jain, Lord Mahāvīra and His Times, Motilal Banarasidass Publisher Pvt. Ltd., Delhi [1st edn., 1974] Rev. edn., 1991 p. 252 ).