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जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद
जैन, बौद्ध एवं ब्राह्मण ग्रन्थों में इस काल के राज्यों की सूचियां उपलब्ध होती हैं, जिनमें पारस्परिक समानताओं के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण अन्तर भी है।
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सोलह महाजनपद
भगवती में सोलह महाजनपदों की सूची ' प्राप्त होती है। वह इस प्रकार है - अंग, बंग, मगध, मलय, मालव, अच्छ (ऋक्ष), वच्छ ( वत्स), कोच्छ (कोच्छ कौत्स ), पाढ (पाण्ड्य), लाढ (राढ = पश्चिम बंगाल), वज्ज ( वज्जि - विदेह), मोली (मल्ल - पावा और कुशीनारा), काशी, कोशल, अवाह (अवध) और सुंभुत्तर ( सुम्होत्तर) 2 ( भगवती, 15.121 [ 135 ] ) । बौद्ध ग्रन्थों में भी इस युग के महाजनपदों, राज्यों एवं राजधानियों के उल्लेख मिलते हैं (I. अंगुत्तरनिकाय, महावग्ग, उपोसथसुत्त, भाग-1, पृ. 242, II. खुद्दकनिकाय, चुल्लनिद्देसपालि, II.12, पृ. 135, III. दीघनिकाय, महावग्गपालि, V. 1. 273, भाग-2, IV. ललितविस्तर, पृ. 16, मि. विद्या.द.प्र. [ 136 ] ) । अंगुत्तरनिकाय के सोलह महाजनपद इस प्रकार हैं- 1. कासी (काशी), 2. कोशल ( कौशल), 3. अंग, 4. मगध, 5. वज्जी (वृज्जि), 6. मल्ल, 7. चेतिय (चेदी), 8. वंस (वत्स), 9. कुरु, 10. पांचाल, 11. मच्छ ( मत्स्य), जयपुर, 12. सुरसेन (मथुरा), 13. अस्सक ( अंशक), 14. अवन्ति, 15. गंधार, 16. कंबोज । महावस्तु में भी सोलह महाजनपदों के नाम उपलब्ध होते हैं किन्तु अंगुत्तरनिकाय में उपलब्ध गंधार और कंबोज के स्थान पर शिवि और दशार्ण का उल्लेख है तथा चुल्लनिद्देस में कलिंग का अतिरिक्त उल्लेख मिलता है तथा गंधार के स्थान पर यौन राज्य का
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1. See also, Upāsagadasão, Appendix-II, A.F.R. Hoernle, see also W. Kirfel, Die Kusmographie Der, Index, 225.
2. सुंभुत्तर की पहचान आजकल के पश्चिमी बंगाल के मिनापोर और बांकुरा जिले से की गई है। See, J. C. Sikdar, Studies in the Bhagwati Sutra, p. 62,f.n. 2.
3. See also, R.C. Majumdar, The History and Culture of the Indian People, Vol. II, pp. 1-2 तथा भरतसिंह उपाध्याय, बुद्धकालीन भारतीय भूगोल, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, इलाहाबाद [ प्र. सं., 1961], द्वितीय सस्करण 1991, पृ. 93 से आगे ।