________________
महावीरकालीन सामाजिक और राजनैतिक स्थिति
महावीर के समय के सम्बन्ध में एक प्रमाण यह भी है कि इतिहास के क्षेत्र में चन्द्रगुप्त का राज्यारोहण ई.पू. 322 माना गया है। जैन परम्परा में तित्थोगाली पइन्नय (4वीं शताब्दी ई. पू.) मेरूतुङ्ग की विचार श्रेणी (13वीं ई. शताब्दी) आदि प्राचीन ग्रन्थों में चन्द्रगुप्त का राज्यारोहण महावीर निर्वाण के 215 वर्ष पश्चात् माना है और इतिहास यह बताता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने पाटलिपुत्र (मगध) राज्यारोहण के 10 वर्ष पश्चात् अवन्ती में अपना राज्य स्थापित किया। इस प्रकार ई.पू. 312 + 215 = 527 ई.पू. महावीर निर्वाण समय आ जाता है।
उक्त तथ्यों का समर्थन विक्रम, शक एवं गुप्त ऐतिहासिक संवत्सरों से भी होता है।
महावीर के समय (जन्म और निर्वाण तिथियां) सम्बन्धी पर्याप्त प्रमाण विद्वानगण प्रस्तुत कर चुके हैं, इसमें और अधिक खोज करने की संभावना प्रतीत नहीं होती। यहां महावीर का काल, यह बिन्दु विषयानुकूल होने के कारण, महावीर के समय सम्बन्धी कुछ तथ्यों को संक्षिप्त में 'आगम और त्रिपिटक एक अनुशीलन' पुस्तक तथा अन्य ग्रन्थों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।
2. महावीरकालीन प्रचलित मतवाद महावीरयुगीन भारतवर्ष विभिन्न मत, सम्प्रदाय, वादों एवं मान्यताओं से संकुल था। कहा जाता है कि उस समय 363 मतवाद अस्तित्व में थे। जो कि
1. Radha Kumud Mookherjee, Chandragupta Maurya and his Times, 1952,
pp.44-46. 2. The date 313 B.C. for Chandragupta's accession, if it is based on correct
tradition, may refer to his acquisition of Avanti in Malwa, as the chronological datum is found in verse where the Maurya king finds mention the list of succession of Palak, the king of Avanti. H.C. Ray Choudhari, Political History of Ancient India, Calcutta, 1932, p.295. The Jain date 313 B.C., if based on correct tradition, may refer to acquisition of Avanti (Malwa).
See also, R.C. Majumdar, An Advanced History of India, p. 99. 3. देखें, आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन, पृ. 87-88 से आगे (ff.).