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अनुक्रमणिका (चरणानुयोग भाग-2) (१) दीक्षा
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समारम्भ-असमारम्भ से संयम-असयम के प्रकार विषय
सूत्राक पृष्ठांक
'मयम योग्य जन
संयम योग्य प्रहर प्रव्रज्या ग्रहण : विधि-निषेध-१ घमन्तिराय कर्मों के क्षयोपशम से प्रव्रज्या
संयम योग्य वय १३३२
यतनावरणीय कर्मों के भयोपशम से सयम प्रव्रज्या-पालक की चौभगी
१३४० 'तीन प्रकार के सयत
संयमी के लक्षण-४ प्रव्रज्या योग्य जन
निर्ग्रन्थ के लक्षण प्रव्रज्या योग्य प्रहर
अणगार के लक्षण प्रव्रज्या योग्य वय
संयती के लक्षण प्रव्रज्या योग्य दिशा
माहण आदि के लक्षण प्रजित करने आदि के विधि-निषेध
त्यागी-अस्यागी के लक्षण बालक-बालिका को बड़ी दीक्षा आदि का
सुसाधू के लक्षण विधि-निषेध
भिसू के लक्षण प्रवृजित होने वाले के उपकरणों का प्ररूपण
महर्षि के लक्षण प्रव्रज्या के अयोग्य
मुनियों के लक्षण असमर्थ को प्रव्रजित करने का प्रायश्चितसूत्र
अमुनि तथा मुनि का स्वरूप प्रमज्या के प्रकार-२
अनात्मवान और आत्मवान विविध प्रकार की प्रव्रज्या
अणगार के गुण प्रव्रज्या को कृषि की उपमा
मतादि निन्थि का स्वरूप प्रव्रज्या को घान्य की उपमा
निर्ग्रन्थों के प्रशस्त लक्षण मुण्न के प्रकार
संयमी को विभिन्न उपमाएँ-५ प्रवज्या के दस प्रकार
श्रमण की उपमायें दुःख का अंत करने वाली प्रव्रज्या
सूर्य सदृश्य महर्षि उपल्यापना विधि-निषेध-३
पक्षी की तरह लघुभूत विहारी बड़ी दीक्षा देने का काल प्रमाण
पक्षीवत् अप्रतिबन्ध विहारी उपस्थापन के विधान
हाथी के समान धैर्यवान बड़ी दीक्षा के योग्य
मेरु के समान अकम्पमान बड़ी दीमा के अयोग्य
वृषभ सम भवाटवी पारकर्ता अयोग्य को बड़ी दीक्षा देने का प्रायश्चित्ससूत्र
संपम का उपदेश तथा विशिष्ट जाए-६
निर्गन्ध की दुःख शय्याए (२) संयमी जीवन
निर्गन्य की सुख शय्याए संपम का स्वरूप-१
संयम ग्रहण का उपदेश संयम का स्वरूप
संयम से दुर्गति का निरोध संयम का महत्व
जन्म-मरण से विमुक्ति
१०० संयम के प्रकार-२
सयती को विनय का उपदेश
१०१ पाच प्रकार के चारित्र और उनकी परिभाषा
संयम की आराधना का उपदेश
१०२ यह प्रकार की कल्प स्थिति
गृहस्थों की वैयावृत्य का तथा वन्दन पूजन सयम के भेद-प्रभेद
की चाहना का निषेध
१०३ सयम के प्रकार
अधिकरण विवर्जन
१०४ असयम के प्रकार
कलहप्रिय-पापश्रमण ।
१०५ चारित्र के प्रकार १४ परीषहजय का उपदेश
१०६ ४२ नोट:
चरणानुयोग भाग २ में सूत्राांक १३३९ से प्रारंभ हुआ है । प्रेस की सुविधा के लिए आगे के नम्बर १३00 हटाकर सिर्फ ४१, ४२ आदि लिये है जो क्रमशः १३४१ आदि का बोधक मानना चाहिए ।
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