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चरणानुयोग-२
स्वाध्याय के भेद
सूत्र ६८२-८४
स्वाध्याय-३
समायभेया६८२.५०-से कितं समाए ?
उ.-पंचविहे सज्माए पन्नते, तं जहा---
१. वायणा,
२. परिपुच्छणा,
३. परियट्टणा, ४. अणुप्पेहा५. धम्मकहा।
से तं समाए। -वि. स. २५, उ, ७, सु. २३६ सुस-सिक्खण-हे जणो६८३. पंचहि ठाणेहि सुत्तं सिक्खेज्जा, सं जहा
१. गाणयाए, २. बसणट्टयाए, ३. चरिसट्टयाए, ४. बुग्गहविमोयगढायाए,
स्वाध्याय के भेद .. ६८२.१ --- स्वाध्याय क्या है उसके कितने प्रकार हैं?
३० स्वाध्याय पाँच प्रकार बा कहा गया है, वह इस प्रकार है
(१) वाचना-यथाविधि यथासमय श्रुत-बाङमय का अध्ययन और अध्यापन।
(२) प्रतिपच्छना-अध्ययन किये हुए विषय में विशेष स्पष्टीकरण हेतु पूछना, शंका-समाधान करना ।
(३) परिवर्तना-सीखे हुए ज्ञान को बार-बार दुहराना । (४) अनुप्रेक्षा-आगम तत्वों का चिन्तन मनन करना। (५) धर्मकथा-- श्रुत-धर्म की न्याम्या-विवेचना करना।
यह स्वाध्याय का स्वरूप है। सूत्र सीखने के हेतु६८३. पाच कारणों से सूत्र को सीखना चाहिए । जैसे
(१) ज्ञानार्थ-नये-नये तत्वों के परिज्ञान के लिए। (२) दर्शनार्थ---श्रद्धान के उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए। (३) चारित्रार्थ --चारित्र की निर्मलता के लिए ।
(४) व्युग्रहविमोचनार्थ-दूसरों के दुराग्रह को छुड़ाने के लिये।
(२) यथार्थ भाव मानार्थ-सूत्र शिक्षण से मैं यथार्थ भावों को जानूंगा, इसलिए । स्वाध्याय का फल६८४. प्र.-- मन्ते ! स्वाध्याय से जीव क्या प्राप्त करता है ?
स- स्वाध्याय से वह ज्ञातावरणीय कर्म को क्षीण करता है।
जो मुनि इस तप, संयम योग और स्वाध्याय योग में सदा प्रवृत्त रहता है, वह सेना से घिर जाने पर आयुधों से सुसज्जित बीर की तरह अपनी और दूसरों की रक्षा करने में समर्थ होता है।
स्वाध्याय और सध्यान में लीन, छ: काय रक्षक, निष्पाप मन वाले और तप में रत मुनि का पूर्वसंनित मल उसी प्रकार विशुद्ध होता है जिस प्रकार अग्नि द्वारा तपाए हुए सोने का मल।
५. जहत्थे वा भावे आणिस्सामीति कट ।
-ठाणं. म. ५, उ.1, सु. ४६७ सज्झाय फलं६८४.५०-सजमाएक मन्ते ! जीवे कि जणयह ? उ.-सजमाए नाणावरणिज कम्म सवेह ।
-उस. अ. २६, सु.२० तवं चिमं संजमजोगयं च,
समायजोमं च सपा अहिए। सूरे व सेणाए समत्तमाउहे.
अलमप्पणी होई अलं परेसि ।। समाय सरक्षापरपस्स ताणो,
अपावभाषस्स तवे रयस्स । विसुज्नई जंसि मलं पुरेकर,
समोरिय रुपमलं 4 जोहणा ॥
१
(क) उव. सु. ३० (ग) उत्त. अ. ३०, गा. ३४
(ख) ठाणं. अ. ५, उ. ३, सु. ४६५ (घ) विशेष विस्तार ज्ञानाचार में देखें।