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पून ६२८
प्रतिमाओं का संग्रह
सपाचार
[३०७
प्रतिमा-संग्रह-८(५)
पडिमा संगहो६२८. बाणउई पडिमाओ पण्णताओ।
प्रतिमाओं का संग्रह६२८. प्रतिमाएँ ९२ (बानवें) कही गई हैं।
-सम. स. ९२, सु. १
१ समवायांग की टीका के अनुसार १२ पडिमाओं का विवरण,
मूल पडिमाएं पांच(१) समाधि पडिमा, (२) उपधान पडिमा, (३) विवेक पडिमा (४) प्रतिसलीनता पडिमा, (३) एकल विहार पडिमा। समाधि पडिमा दो प्रकार की है(१) श्रुत समाधि पडिमा (२) चारित्र समाधि पडिमा । धु सावितमा के ६२ मंद हैआचारांग प्रथम श्रुतस्कंध में ५ पडिमा, द्वितीय श्रुत स्कंध में ३७ पडिमायें, स्थानांग में २६ पडिमायें, व्यवहार सूत्र में ४ पडिमायें, इस प्रकार ५ + ३७-५-१६+४ पे सब मिलकर ६२ पडिमायें हुई हैं। उपधान पशिमा के २३ भेद हैभिक्षु पडिमा के १२ भेद, धमणोपासक पडिमा के ११ भेद ये २३ हए । एक विवेक पढिमा और एक प्रतिसंलीनता पढिमा ये २५ हुए। ५ चारित्र पडिमा । सब मिलाकर ९२ पडिमायें हैं। ये १२ भेद टीकाकार ने दशा. नियुक्ति से उद्धृत किये हैं। टीकाकार कृत इस दिवरण में पांच मूल पडिमायें किस आगम में कही गई हैं ऐसा स्पष्ट कथन नहीं है। पाँच मूल पडिमाओं में से पांचवीं एकल विहार पडिमा को १२ भेदों में लेने का निषेध करके ऐष पार पडिमायें ही लेने का कथन है। यदि ऐसा ही अभीष्ट था तो स्थानांग ब. ४, ३.१ में उक्त पार पडिमाओं को मूल पडिमा क्यों नहीं कहा गया? समयायांग टीकाकार कृत विवरण में केवल पद्धिमानों की संख्या का निर्देशा है। किन्तु किस आगम में से कौन-सी पदिमायें यहाँ ली गई हैं- ऐसा स्पष्ट कथन नहीं है। विवरण में निर्दिष्ट पडिमाओं की संख्या और आगमों में उपलब्ध पहिमानों की संख्या इस प्रकार हैमिविष्ट संख्या
उपलब्ध संख्या प्राचारोग श्रुत, १ में-५
अभिग्रह-१८ आचारांग श्रुत. २ में--३७
एषणा परिमायें-३७ ठाणं सूत्र में-१६
परिमायें और अभिग्रह-१८ बव. सूत्र में-४
पडिमा-१५ दशाश्रुत, सूत्र में-२३
पडिमायें-२३ उववाई-सूत्र-x
भिक्षाघरी अभिग्रह अन्य बनेक अभिग्रह-३० पांच चारित्र, विवेक पहिमा और प्रतिसंलीनता पडिमा-ये अभिग्रह नहीं हैं फिर भी इन्हें पहिमानों में गिना है। दशाश्रुतस्कन्ध दशा, ७ की नियुक्ति के अनुसार ये ९२ पडिमायें अभिग्रह रूप हैं अतः यहाँ अन्य प्रकार से ६२ पडिमाओं का संकलन किया गया है। वह इस प्रकार है
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