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मासिक और दो मासिक प्रायश्चित्त को प्रस्थापिता आरोपणा वृद्धि
अवाहन मासियं परिहारा पबिए अगवारे अंतरा बोमासि परिहारट्ठाण परिसेविता आलोएक्जा-सहावरा श्रीसदराइया आरोषणा आदिम सावसाने सअद्धं सहेडं सकारण अहीणमहरिलं, तेण परं सपंचराइया सिणिमासा ।
पंचरइय-तेमासि परिहारट्ठाणं पटठविए अणगारे अंतरा मासिधं परिहारठाण परिसेविता आलोएम्मा व्हावरा पलिया आरोपमा आमास स स सकारणं अहमहरित ते परं सबीहा तिष्णि मासा
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आरोवणा आमिरसावसाने समय सहे सकारण अहीण हेतु या कारण से मासिक प्रापनिस बोग्य दोष सेवन करके मरितं तेण परं अड्डाइज्जा मासा । आलोचना करें तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की आरोपण का प्रायश्चित्त आता है। जिसे संयुक्त करने से हाई मास की प्रस्थापना होती है।
ढाई मास प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चिन्त वहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोजन, हेतु या कारण से दो मासिक प्रायश्चित्त योग्य दोष सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक बोस रात्रि की आरोषणा का प्रायश्चित आता है। जिसे संयुक्त करने से तीन मास और पाँच रात्रि की प्रस्थापना होती है। तीन मास और पॉन रात्रि प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चित काल के प्रारम्भ में मध्य में या अन्त में प्रयोजन हेतु या कारण से एक मास प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की आरोपणा का प्रायश्चित आता है। जिसे संयुक्त करने से तीन मास और बीस रात्रि की प्रस्थापना होती है ।
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सयोसइराइव तेमालयं परिहाराणं पविए अणगारे अंतरा वोमासि परिहारद्वाणं परिसेवित्ता आलोएज्जामहावरा बोरामा आरोपणा आदिमयावसाये सम सहेजें सकारणं भहीणमइरिस तेथ परं सवसराहया तारि मासा |
सदसराय-याम्भवियं परिहाराचं पलिए अथगारे अंतरा मासि परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जाअहावरा पक्षिया आरोषणा आविमज्साधसाणे सज सहे सकारण अहीणमवरितं तेन परं पंचूणा पंचमासा ।
तपाचार
पंचू-पंज-यासि परिहाराणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमाथि परिहाराणं पहिलेविता मालोएमा अहावरा वीसइरादा भरोषा सम सहे सकारण अहीणमइरित ते परं मासा
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छद्मासि परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा मासि परिहाराणं डिसेविता आलोएना महावरा या आरोषणा सर्ट सहे सकारणं अट्टणमरित ते परं माया
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चार मास और दस रात्रि प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चित वहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोजन हेतु या कारण से एक मास प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की आरोपणा का आयश्चित आता है। जिसे संयुक्त करने से पाँच मास में पांच दिन कम की प्रस्थापना होती है ।
पाँच मास में पाँच दिन कम प्रायश्चित्त वहन करने वाला अपार यदि प्रायश्चित व नाके प्रारम्भ में मध्य में या अन्त में प्रयोजन हेतु वा कारण से दो मास प्रायगत योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक बीस रात्रि की भारोपणा का प्रायश्चित आता है जिसे संयुक्त करने से साढ़े पांच मास की प्रस्थापना होती है ।
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साढ़े पांच मास प्रायश्चित्त वहन करने वाला अगगार यदि प्रायश्चित बहन काल के प्रारम्भ में मध्य में या अन्त में प्रयो जन हेतु या कारण से एक मास प्रायश्वित योग्य दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की २०४७-५२ आरोपमा काय आता है जिसे संयुक्त करने से छ मास की प्रस्थापना होती है ।
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तीन मास और वीरा रात्रि प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायश्चित्त वहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या बन्त में प्रयोजन हेतु या कारण से दो मास प्रायनित बौध दोष का सेवन करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक बीस रात्रि की आरोपणा का प्रायश्चित्त माता है। जिसे संयुक्त करने से चार मास और दस रात्रि की प्रस्थापना होती है।