________________
[3] धरणामुयोद–२
संघम भेयपमेया
६६.
जप व जहा
(१) राय, (२) बीयरागसंजमे चेत्र ।
सराग
विहे पत्र तं जहा
रारा (२) बादरप
(१)
संजमे चैव ।
-
।
पराजि
(१)
समय-संवरारा- संज
(२) अपवम समय सुम- संपराय-राग-संजमे चेष । जया चरमसमयमराज
सुमपरायसराग संजमे चैव ।
अहवा सुमपरायसरायसं जमे दुबिहे पनसे, तं जहा
किमान पाए ।
जहा
संयम के प्रमे
बारपरायसराय कपि
तं जहा
समय बादरपरायसर गजमे चेय, अपरमसमयबावरसंपरायसरागसंजमे चैव ।
हवा परि समयबादर-पराय-सत्य-संगमेष, अबरिम समय बादर-संपराय सराग-संजमे चेष । हवा मायरपरागमेपि
तं जहा
पडवाति चेव, अपडियाति क्षेत्र ।
वीरादुपय तं जहा --
Reeb
वसंतराव बीपराज
चेव ।
वसंत कसायवीय रागसंजमे बुबिहे पण्णसे, तं जहा
र अश्मिसमय
पढमसम्म उवसंत सायवीयरागसंजमे चैव अपढमसमयउव संतक सायवीय रागसंजमे चंद |
अवा चरिमसमयउचसंत कलावधीयरागसंजमे वेव, अतरिमसमय उवसंतकसामशय रागसं जमे चंव | श्रीराममंग विहे पद्म तं जहा
छउमत्थी कसायवीयरागमंजमे वेव, केबलिषीणकसायचीमरागसंयमे वेव ।
उत्थाय वोयराय संगमे दृष्णिसं
जीण कलायचीयरायजमे
उमत्यशी सायीतरामेव
छउमत्थखोणकसाय- वीतरागसंजमे चैव ।
संयम के भेद प्रभेद -
६९. संयम दो प्रकार का कहा गया है, यथा-सरानसंयम और वीतराग संयम |
सरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है, यथासूक्ष्मसम्पराय सराग संयम और बादरसम्पराय सराग संवम ।
९६
सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है, यथाप्रथमसमव सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम और
अभयमसमय सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम |
अथवा वरमसमय सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम और अचरमसमय सुनसम्पराय सरागसंयम ।
अथवा सूक्ष्मसम्पराय नरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है, यथा
संक्लिश्यमान सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम और विशुद्धयमान सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम ।
बादरसम्पराय सरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है. यथा प्रथमसमय - बादरसम्पराय सरागसंयम और अप्रथमसमयबादरसम्पराय सरागसंयम ।
अथवा चरमसमय बादरसम्पराय सरागसंयम और अधरमरामय वादरमम्पराव सरागसंयम
अथवा वादसम्पराय सरागसंयम दो प्रकार का कहा गया हैं, यथा
प्रतिपाती बादरसम्पराय सरागसंयम और अतिपाती बादरसम्पराय सरागसंयम ।
वीतराग संयम दो प्रकार का कहा गया है। यथाउपशान्तकषाय वीतरागसंयम और क्षीणकषाय वीतराग
संगम ।
उपशान्तकषाय वीतरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है।
यथा
प्रथमसमय उपशान्तकषाय वीतरागसंयम और अप्रथमतभय उपशान्तकाय वीतरागसंयम ।
अथवा चरमसमय उपशान्तकषाय वीतरागसंयम और अचरमसमय उपशान्तकषाय वीतराननयम |
क्षीणकषाय बील रागसंगम दो प्रकार का कहा गया है, यथाछद्मस्थ क्षणक्रमाय वीतरागसंयम और केवली क्षीणकषाय वीतरागसंयम ।
reera क्षीणकषाय वीतरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है, यथा
स्वयं छद्मस्थ क्षीणकषाय वीतरागसंयम |
—
उमस्थक्षीणावीतरागसंयम और बोधित