________________
सत्र ३२३
विराधक परिव्राजक
आराधक-विराधक
[१४६
तेसि गं परिष्कायगाणं गो कप्पर१. नडपेच्छा इवा, २. नट्टगप्पेच्छा इवा, ३. जल्लपेच्छावा,
जन परिव्राजकों को-- (१) नाटक दिखाने वालों के नाटक, (२) नाचने वालों के नाच, (३) रस्सी आदि पर चढ़कर कलाबाजी दिखाने बालों के
खेल,
४. मल्लपेच्छा । वा, ५. मुट्ठियपेच्छा इवा, ६ लंबगपेच्छा इवा, ७. पवापेच्छा इ वा, ८. कहगपेच्छा इवा,
(४) पहलवानों की कुफ्तियाँ, (५) मुक्केबाजों के प्रदर्शन, १६) मसखरों की मसखरिया, (७) कथकों के कथालाप, (८) उछलने या नदी आदि के तैरने का प्रदर्शन करने वालों
१. लासगपेच्छा इया,
(E) रास गाने वालों के वीर गीत, १०. आइक्खगपेचछा था,
(१०) शुभ अशुभ बातें बताने वालों के करिश्मे, ११, संखपेच्छा हवा,
(११) वांस पर चढ़कर खेल दिलाने वालों के खेल, १२. मंखपेच्छा ६ वा,
(१२) चित्रपट दिखाकर आजीविका चलाने वालों को
करतूतें, १३. तूणइल्लपेच्छा इवा,
(१३) तूण नामक तन्तु-वाद्य बजाकर आजीविका कमाने
पा के करतब, १४. तंबयोणियपेच्छा इवा,
(१४) पूंगी बजाने वालों के गीत, १५. मुरगपेच्छा इवा,
(१५) ताली बजाकर मनोविनोद करने वालों के विनोदपूर्ण
उपक्रम तथा १६. मागहपेच्छा हवा, पेसिछत्तए।
(१६) स्तुति-गायकों के प्रशस्तिमूलक कार्य-कलाप आदि
देखना, सुनना नहीं कल्पता है। तेसि र्ण परिवायगाणं णो कप्पद हरियाणं १. लेसणया वा, उन परिव्राजकों के लिए हरी वनस्पति का (१) स्पर्श करना २. घट्टणया वा, ३. यंभणया बा, ४. सूसणया वा. ५. उप्पा- (२) उन्हें परस्पर घिसना, (३) हाथ आदि द्वारा अवरुद्ध करना, जणया वा करित्तए ।
(४) शाखाओं, पत्तों आदि को ऊंचा करना या उन्हें मोड़ना,
(५) उखाड़ना नहीं कल्पता है। तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पइ १. इरिथकहा इवा, उन परिवाजकों के लिए (१) स्त्री-कथा, (२) भोजन-कथा, २. मत्तकहा हवा, ३. देसकहा इ था, ४. रायकहा । वा, (३) देश-कथा, (४) राज-कथा, (५) चोर-कथा, (६) जनपद५. चोरफहा । वा, ६. जणवयकहा । वा, अणत्यदेवं कथा, ये जो निरर्थक हैं, उन्हें करना नहीं वल्पता है। करित्तए। तेसि गं परिवायगाणं णो कापइ १. अयपायाणि वा, उन परिव्राजकों के लिए (१)तूंबे, (२) काठ तथा २. तउअपायाणि वा, ३. तंबपायाणि वा, १४. असदपायाणि (३) मिट्टी के पात्र के सिवाय, (१) लोहे, (२) रांगे, (३) तांबे, वा, ५. सोसगपायागि वा, ६, रूप्यपायाणि वा, ७. सुवण्ण- (४) जसद, (५) शीशे, (६) चांदी या (७) सोने के पात्र या पावाणि या अण्णपराणि या बहमुल्लाणि धारिसर, गण्णस्य दूसरे बहुमूल्य धातुओं के पात्र धारण करना नहीं कल्पता है । १. मलाउपाएण वा, २. दायपाएण वा, ३. मट्टियापाएण वा । तेसि गं परिव्यायगाणं णो कम्पइ १. अयबंधणाणि चा, उन परिवाजकों के लिए (१) लोहे. (२) रांगे, (३) तांब, २. तउमबंधणाणि वा, ३. तंबंधष्णणि मा, ४. जसद- (४) जसद