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सूत्र १००-५०१
सांभोगिक व्यवहार के लिये गणसंक्रमण का प्रायश्चित सूत्र संध-व्यवस्था
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संभोग वडियाए गण संकमण पायच्छित सुत्त
सांभोगिक व्यवहार के लिये गणसंक्रमण का प्रायश्चित्त
पूत्र
५०..जे भिक्खू बुसिराहयाओ गणाओ अवृसिराइयं गणं संकमइ, ५००. जो भिक्षु विशेष चारित्र गुण सम्पन्न गण से अल्प पारिष संकमतं वा साइज्जद।
गुण वाले गण में संक्रमण करता है, करवाता है या करने वाले
का अनुमोदन करता है। तं सेबमाणे आवजह चाउम्मासियं परिहारट्टाणं उराघाइय। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ.१६, सु. १६ आता है। आयरियाईणं वायणदाए अण्ण-गण-गसण विहि-णिसेहो- आचार्य आदि को वाचना देने के लिये अन्य गण में जाने
___ का विधि-निषेध५०१. भिक्खू य इच्छेन्जा, अन्न आयरिय उवसायं उदिसावेत्तए, ५०१. भिक्षु यदि अन्य गण के आचार्य या उपाध्याय को याचना
देने के लिए (या उनका नेतृत्व करने के लिये) जाना चाहे तोनो से कप्पद अगापुग्छित्ता आयरिय वा-जाद-गणावच्छेइयं अपने आचार्य-यावत -गणावच्छेदक को पूछे बिना अन्य वा अन्न आयरिय-उवमायं उदिसावेत्तए।
आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिए जाना नहीं
कल्पता है। कप्पड़ से आपुच्छिता आयरियं वा-जाव-गणावच्छेइयं वा किन्तु अपने आचार्य-यावत् - गणावच्छेदक को पूछ कर अन्न आयरिय-उवमार्य उद्दिसावेत्तए ।
अन्य आचार्य या उपाध्याय को नाचना देने के लिए जाना
कल्पता है । ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अन्न आयरिय-उपस्मायं वे यदि आशा दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना उद्दिसावेत्तए।
देने के लिये जाना कल्पता है। ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्न आयरिय- वे यदि आशा न दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को उवसायं उद्दिसावेत्तए।
वाचना देने के लिए जाना नहीं कल्पता है। नो से कप्पद तेसि कारणं अवीवित्ता अन्न आयरिय-उवमार्य उन्हें कारण बताये बिना अन्य आचार्य या उपाध्याय को उदिसावेत्तए ।
वाचना देने के लिए जाना नहीं कल्पता है। कप्पड़ से तेसि कारण बीविता अन्न आयरिय-उवमायं किन्तु उन्हें कारण बताकर ही अन्य आचार्य या उपाध्याय उहिसावेत्तए।
को बाचना देने के लिये जाना कल्पता है। गणावच्छेहए य इच्छेज्मा अन्न आयरिय-उवमायं उद्दिसा- गणावच्छेदक यदि अन्य गण के आचार्य या उपाध्याय को वेत्तए,
वाचना देने के लिये (या उनका नेतृत्व करने के लिये) जाना
चाहे तोनो से कप्पइ गणावच्छेइयत्त अनिक्खिबित्ता अन्न आयरिय- उसे अपना पद छोड़े बिना अन्य आचार्य या उपाध्याय को उवमायं उद्दिसावेत्सए ।
वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पटा है। कप्पद से गणावच्छेइयत्तं निपिखवित्ता अन आयरिय- किन्तु अपना पद छोड़कर अन्य आचार्य या उपाध्याय को उबरसायं उहिसावेत्तए।
वाचना देने के लिए जाना कल्पता है ।। नी से कप्पद अणापुच्छिता आयरियं वा-जाद-गणावच्छेइयं अपने आचार्य-यावत्-गणावच्छेदक को पूछे बिना अन्य वा अन्न बायरिय-उनमायं उदिसावेत्तए।
.. आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं
कल्पता है। कप्पह से आपुग्छिता आयरियं वा-जाब-गणावपछइयं वा किन्तु अपने आचार्य यावत्-गणावच्छेदक को पूछ कर अन्न अायरिय-उपासायं उहिसावेत्तए।
अन्य आरायं या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना काल्पता है।