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भरणानुयोग-२
पवमध्य
प्रतिमा
सूत्र ६२४
जवमलं गं चंदपजिम पजिवनस्त मणगारस्त
यवमध्य चन्द्र प्रतिमा के आराधक अणगार को, सुक्कपक्सस्स पाडिवए से कप्पाइएमा बत्ती मोयणस्स पडिगा- शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन आहार और पानी की एकहेतए, एगा पागस्स।
एक दनि ग्रहण करना कल्पता है। सम्वेहि पुष्पय चउपयाइएहि आहारक्लीहि सहि पडिणि- आहार की आकांक्षा करने वाले सभी द्विपद चतुष्पद प्राणी यहि, अन्नायउंछ सुखोवहार्ड
आहार लेकर लौट गये हों तब उसे अज्ञात स्थान से शुद्ध (भल्प
लेप वाला) अल्प बाहार लेना कल्पता है । निजहिता बहवे समप-जाव-बगीमगा।
अनक श्रमण -- पावत्-मिवारी आहार लेकर लौट गये
हों अर्थात् वहां खड़े न हों तो आहार लेना कल्पता है। कप्पड से एगस्स मुंजमाणस्स पडिग्गाहेत्तए नो दोहं, नो एक व्यक्ति के भोजन में से आहार लेना कल्पता है, किन्तु तिम्हं, नो घाउमई, नो पंचहं ।
दो, तीन, चार या पांच व्यक्ति के भोजन में से लेना नहीं
कल्पता है । नो गुम्विणीए, नो बालवच्छाए, नो बारगं ऐज्जमाणीए 1 गर्भवती, छोटे बच्चों वाली और बच्चे को दुध पिलाने वाली
के हाथ से आहार लेना नहीं कल्पता है। नो अंतो एखुपस्स दो वि पाए साहट दलमाणीए, नो बाहि दाता के दोनों पैर देहली के अन्दर हों या बाहर हों, उससे एसुयस्स दो वि पाए साहट्ट दलमाणीए ।
आहार लेना नहीं कल्पता है।। अह पुण एवं जाणेज्जा एगं पायं अंतो किच्चा, एगं पायं यदि ऐसा जाने कि–दाता एक पर देहली के अन्दर और बाहिं किच्चा एव्यं विक्सम्मइत्ता
एक पर देहली के बाहर रखकर देहली को पैरों के बीच में करके
दे तो उसके हाथ से आहार लेना कल्पता है । एयाए एसणाए एसमा लज्जा आहारेजा, एयाए एस- इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो जाए एसमाणे गोलभेज्जा, णो आहारेज्जा ।
तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए
आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। बियाए से कप्पड दोष्णि बत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, शुक्ल पक्ष के द्वितीया के दिन प्रतिमाधारी अणगार को बोषिण पाणस्स-जाव-एपाए एसगाए एसमाणे लभेज्जा भोजन और पानी की दो-दो दत्तियाँ लेना कल्पता है-पावत्आहारेज्जा, एयाए एसणाए एसमरणे भो लभेम्जा, नो इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो याहारेज्जा।
ले यदि हम प्रकार के नियमों से एषणा करते हुए आहार प्राप्त
न हो सो न ले। तइयाए से कम्पइ तिणि रत्तीओ भोयगस्स पडिगाहेत्सए, तीज के दिन भोजन और पानी की तीन-तीन दत्तियां ग्रहण तिष्णि पाणस-जाव-एमाए एसगाए एसमाणे लभेज्जा करना कल्पता है-यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा आहारेजा, एयाए एसणाए एसमाणे णो लमेजा, नो करते हुए आहार प्राप्त हो तो ले यदि इस प्रकार के नियमों से आहारेग्जा।
एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो न ले। चउत्थीए से करपद उवत्तीओ प्रोयणस पनिगाहेत्तए, चौथ के दिन भोजन और पानी की चार-चार दत्तियाँ ग्रहण
पाणस्स-जाव-एपाए एसणाए एसमाणे लभेज्जा आहा- करना कल्पता है यावत् -इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा रेजना, एयाए एसणाए एसमार्ग णो लभेम्जा नो आहा- करते हुए आहार प्राप्त हो तो ले, यदि इस प्रकार के नियमों से रेज्जा ।
एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो न ले । पंचमौए से कप्पाह पंचवत्तीओ भोयणस्स परिणाहतए, पंच पांचम के दिन भोजन और पानी की पांच-पांच दत्तियाँ पाणस-जाब-एयाए एसणाए एसमाणे सभेज्जा महारेज्जा, ग्रहण करना कल्पता है-यावत-इस प्रकार के अभिग्रह से एमाए एसणाए एसमाणे णो लमज्जा नो आहारेज्जा। एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ले, यदि इस प्रकार के
नियमों से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो न ले।