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चरणामुयोग- २
अब रोपस एएहि कारणेहि आरिभाव
यह
रवी
१. भासुरे,
३. संमोहे,
तह नमिमि हो बिसेषी।
कुण 1
विरागाणं मस्स अप सो...
३२२.पा
जलप्ययेसो द जम्मणमरणाणि बंधंति ॥ उत्त. अ. ३६, गा. २६३-२६०
चाहोवा आमुराए कम्पयति तं जहा -
१. कोवसीलताए
१.
२. मगंतराएवं,
२.
२.
२.
२. कम्मे,
४. पिमितजीवियाए ।
चहि ठाह जीवा आमि ओगलाए कम्मं पगति, तं जज्ञा
१. अक्कणं,
२. परपरिवारणं,
३. भूतिकम्मे,
विराधकों के संयम का विनाश
२.
४. देवकिaियसे ।
४. कोथकरणेणं ।
हि ठाणेहि जीक्षा सम्मोहक लिहा
३. कामासंसओगेणं.
४. पिज्जाणियाण करणेंगं ।
ठाणे जीवा देवशिविसिवाए
सं जहा
१. अरहंताणं श्रवणं वरमाणे,
धम्म अब वरमाणे, परिचयाणा
४. बाउवणस्स संघस्स अवणं वरमाणे ।
पति
जो शोधको निरतर बढ़ावा देता रहता है और निमित्त कहता है वह अपनी इन प्रवृत्तियों के कारण आसुरी भावना का आवरण करता है ।
सूत्र ३२८-३२६
जो शास्त्र के द्वारा, विष-भक्षण के द्वारा, अग्नि में प्रविष्ट होकर या पानी में कूद कर आत्म हत्या करता है और जो मर्यादा से अधिक उपकरण रखता है, वह जन्म-मरण की परम्परा को पुष्ट करता हुआ मोही भावना का आचरण करता है । विराधकों के संयम का विनाश
३२९. माधना का विनाश चार प्रकार का है
(१) सुर
(३) सम्मोह अपवंस.
चार स्थानों से जीव आनुरय-कर्म का अर्जन करता है(१) कोपशीलता से,
(२) प्राभुत दीनता अर्थात्
स्वभाव से
(३) मंसक तपः कर्म - आहार उपधि की प्राप्ति के लिए तप
- ठाणं. अ. ४, उ. ४, सु. ३५४
(२) अभियोग अपध्वंस,
(४) देवकिवि-अपध्वंस
करने से,
(४) निमित्त गोरखा निमित्त आदि बताकर आहार आदि प्राप्त करने से ।
चार स्थानों से जीव अभियोगित्व-कर्म का अर्जन करता है-
(१) आत्मोत्कर्ष – आत्मगुणों का अभिमान करने से,
(२) पर-परिवाद - दूसरों का अवर्णवाद बोलने से,
(३) भूतिकर्म - भस्म, लेप आदि के द्वारा चिकित्सा करने से, (४) कौतुककरण — मंत्रित जल से स्नान कराने से । चार स्थानों से जीव सम्मोहत्व
का अर्जन करता है-
(१) उन्मार्ग देशना - मिथ्या धर्म का प्ररूपण करने से, (२) भान्तरायो मार्ग में प्रवृत्त व्यक्ति के लिए विघ्न उत्पन्न करने से,
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(३) कामाशंसाप्रयोग शब्दादि विषयों में अभिलाषा करने से, (४) मिध्यानिदानकरण- पुद्धिपूर्वक निदान करने से। चार स्थानों से जीव देव- किस्विषिकत्व कर्म का वर्जन करता है
(१) बहों का बाद बोलने से
(२)
(३) आचार्य तथा उपाध्याय का अवर्णवाद बोलने से,
(४) चतुविध संघ का अवर्णवाद बोलने से ।
धर्म का अवर्णवाद बोलने से,