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सूत्र ३६१-३६५
सचित गंध जिण पायच्छित मुतं३१.
सचित गंध सूचने का प्रायश्चित सूत्र
पद्वियं हि नियंता साइ
२२.
मनासिवं परिहारद्वानं अनुत्पादयं -Pr.. t. g. to
तं सेवमाणे आवजह चाजम्मा सियं परिहारट्ठाणं उग्धादयं । - नि. उ. १३, सु. १७
भूकम्मकरणल्स पायच्छित सुतं
कोकम्मरस पायसुतं
कौतुक कर्म का प्रायश्वित्त सूत्र
३६२. जे मिक्सू अण्णउस्वियाण या गारस्थियाण वा कोउग्रकम्। ३६२. जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्थों का कौतुक कर्म करता करेड करें या साइज है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
करेद्द, करें या साइजइ ।
से सेवमाने भवन चारसय परिहाराणं उपाह
- नि. उ. १३, सु. १८
भूतिकर्म करने का प्रायश्चित्त सूत्र
त्याच या मारवियान वा कम्म ३९३ को अन्यतीर्थ या गुहस्यों भूतिकर्म करता है करवाता है या करने वाले का अनुमोदन करता है ।
भयाण वा नारयियाण वा वंज कर्हतं वा साइज्जइ ।
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अनाचार
सचित गंध सूंघने का प्रायश्चित सूत्र-
२२. जो शुचि पदार्थ में स्थित सुगन्ध को सूपता है या सूंघने वाले का अनुमोदन करता है ।
उसे मासिक अनुमासिक परिहारस्थान (प्रायश्वित्त) आता है।
जे भिक्खू अण्णउत्थियाण या गारत्वियाण वा सुमिणं कहेद, कहें या साइज |
[१६५
उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित्त) आता है ।
पसिना कणस्स पार्याण्डिस सुताई
प्रश्नादि कहने के प्रायश्चित सूत्र
१४. जे भिक्लू अण्णउत्थिवाण वा गारत्यिमाण वा पसिण कहे, ३९४. जी भिक्षु अन्यतीर्थिकों या गृहस्थों से कोतुक प्रश्न करता * वा साहज्जइ । है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।
जे भिषण अपरिमाण वा गारस्थियाण या परिणापसिणं * कहे कहें या साइनइ । सेवा
पाउम्यासि परिहारद्वाणं उधा - नि. उ. १३, सु. १६-२० लक्खण- वंजण सुमिणफल- कहणमाणस्स पायच्छित सुसाइं ३६५.उन वा वारयियाण वास
हे
कर्हेत या साइज्जइ ।
उसे चातुर्मासिकपातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित आता है ।
at fभक्षु अन्यतfर्थकों या गृहस्थों के कौतुक प्रश्नों के उत्तर देता है, दिलवाता है मा देने वाले का अनुमोदन करता है।
उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित ) आता है।
लक्षण व्यंजन-स्वप्नफल कहने के प्रायश्चित्त सूत्र
जो भिक्षु अन्यतीथकों या आदि व्यंजनों का फल कहता है, का अनुमोदन करता है ।
२१४. जो भिक्षु अन्यतीधिकों या गृहस्यों को उनके शरीर के रेखा आदि लक्षणों का फल कहता है, कहलाता है या महने दाने का अनुमोदन करता है।
प्रश्न=प्रश्नव्याकरण में उक्त तीन सौ चौबीस प्रश्नों में से पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देना ।
प्रश्नाप्रश्न – स्वप्नशास्त्र से स्वप्नों का फल कहना |
मुहस्यों को (उनके) दिनस कहलवाता है या कहने वाले
जो भिक्षु अन्यतीथकों या गृहस्यों को स्वप्न का फल कहत
है, कहलाता है या कहने वाले का अनुमोदन करता है।
१ कौतुककर्मसुखवरमा की चिकित्सा के लिए कराया जाने वाला एक तांत्रिक प्रयोग
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२ मूतिकर्मदृष्टिदोष आदि की निवृत्ति के लिए तंत्रीत पदार्थों के सम्मिश्रण से एक रक्षा पोटली तैयार करना, भूतिकर्म है।
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