________________
१५०]
चरणानुयोग-२
विराधक परिव्राजक
वंधणाणि बा, ५. सीसगवंधणाणि या, ६. रूपबंधणाणि (५) सोसे, (६) चाँदी, (७) स्वर्ण या दूसरे बहुमूल्य बन्धनों वा, ७, सुषण्णबंधणाणि वा अण्णयराणि वा बहमुल्लाणि से बंधे हुए पात्र रखना नहीं कल्पता है । धारित्तए। तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पद गाणाविहवणरागरसाई उन परियाजकों को गेरू वस्त्रों के सिवाय तरह-तरह के वस्थाई धारित्तए, णण्णत्व एगाए धाउरत्ताए।
रंगों से रंगे हुए वस्त्र धारण करना नहीं कल्पता है। तेसि गं परिवायगाणं णो कापा १. हार का, २. अडहारं उन परित्राजकों को तांबे की अंगूठी के अतिरिक्त (१) हार,
वा, ३. एगावलि बा, ४. मुसातित ५.५. कपनापति (२)बहार, 18) कारली. (४) मुक्तावली, (५) कनकावली, . वा. ६. रयणाबलि वा, ७. मुरवि या, ८. कंठमुरवि वा, (६) रत्नावली, (७) मुखी-हार विशेष, (८) कण्ठ का आभरण
है. पालंय बा. १०. तिसरयं वा, ११. कडिसुत्तं वा, विशेष, (8) लम्बी माला, (१०) तीन लड़ों का हार, (११) १२. दसमुदिआणतमं या, १३. कडयाणि वा, १४. तुद्धि- कटिसूत्र, (१२) द समुद्रिकाएँ, (१३) कड़े, (१३) त्रुटित, याणि वा, १५. अंगयाणि बा, १६. केकरागि वा, १७. (१५) अंगद, (१६) बाजूबन्द, (१७) कुण्डल, (१८) मुकुट तथा कंस्लाणि वा, १८. मज वा, १९. चूप्तामणि वा पिणशि- (१९) चूडामणि धारण करना नहीं कल्पता है। तए, णण्णत्व एगेणं तंजिएणं पवित्तएणं। तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पइ १. गंथिम, २. वेहिम जन परिव्राजकों को फूलों से बने केवल एक कर्णपूर के ३. पुरिम, ४. संघाइमै चउचिन्हे मल्ले धारित्तए. गण्णस्य सिवाय (१) मूंथकर बनाई गई मालाएँ, (२) लपेट कर बनाई एगेणं कण्णपूरणं ।
गई मालाएँ, (३) फूलों को परस्पर संयुक्त कर बनाई गई मालाएँ या (४) मंहित कर परस्पर एक दूसरे में उलझा कर बनाई गई मालाएँ—ये चार प्रकार की मालाएं धारण करना
नहीं कल्पता है 1 तेसि णं परिवावगाणं णो कप्पड १. अगलुएग था, उन परिव्राजकों को केवल गंगा की मिट्टी के अतिरिक्त २. चंवर्षण वा, ३. कंकुमेण वा गायं अणुलिपित्तए, पण्णस्य (१) अगर, (२) चन्दन, (३) ककुम या (४) केसर से शरीर एक्काए गंगामट्टियाए।
___ को लिप्त करना नहीं कल्पता है। तेसि णं परिवायगाणं कप्पड मागहए पत्थए जलस्स पडि उन परिव्राजकों के लिए मगध देश के तोल के अनुसार एक ग्याहिसए, १. से वि य वहमाणे, णो चेवणं अवहमागे प्रस्थ जल लेना कल्पता है। (१) वह भी बहता हुआ हो, किन्तु २. से वि य घिमिओबए, जो चेव पं कद्दमोदए, ३. से वि तालाब आदि का बन्द जल न हो। (२) वह भी स्वच्छ हो य बहुप्पसण्णे, पो चेष णं अबहुप्पसणे, ४. से विय परि. किन्तु कीचड़युक्त न हो, (३) वह भी साफ और निर्मल हो, पुए. जो श्रेषणं अपरिपूए, ५. से वियण विषणे, जो चैव किन्तु गंदला न हो, (४) वह भी वस्त्र से छाना हुआ हो, किन्तु णं अदिग्णे, ६. से बिय पिवित्तए, गो व गं हत्य-पाय- अनछाना न हो, (५) वह भी दिया गया हो, किन्तु बिना दिया घर-चमस-पखालणटाए सिणाइत्तए वा ।
हुआ न हो, (६) वह भी केवल पीने के लिए ग्राह्य है, हाथ पैर, भोजन का पात्र, चम्मच धोने के लिए या स्नान करने के लिए
नहीं। ते सि गं परिचायगाणं फापड मागहए आए अलस्म परि- उन परियाजकों के लिए मागध तोल के अनुसार एक आढक माहितए, से वि य. बहमाणे, णो व गं अवहमाणे-जाव- जल लेना कल्पता है । यह भी बहता हुआ हो, एक जगह बंधा से दियणं विष्णं, गो चेय गं अविष्णे, से विय हत्य-पाय- हुआ न हो-यावत्-वह भी दिया गया हो-बिना दिया हुआ चर-चमस-पक्षालणयाए, णो वेष पिबित्तए, सिणा- न हो तो उरासे केवल हाथ, पैर, चरू, चमस या चम्मच धोना इत्तए वा।
कल्पता है, किन्तु पीने के लिए या स्नान करने के लिए नहीं
कल्पता है। ते पं परिवायगा एयाख्येणं विहारेण विहरमाणा बहूई वे परिव्राजक इस प्रकार की चर्या द्वारा विचरण करते हुए, बासाई परियाय पाउणंति, बहईवासाई परियाय पाउपिता बहुत वर्षों तक परियाजक-धर्म का पालन करते हैं। बहुत वर्षों