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सूत्र २४६-२५०
प्रत्याश्यान के प्रकार
संयमी जीवन
पच्चक्खाण के प्रकार-५
पञ्चक्खाणपगारा२४. तिविहे पवाखाणे पण्णते, ते अहा
१. मणसा वेगे पच्चखाति, २. वयसा बेगे पच्चक्खाप्ति, ३. कापसा बेगे पश्चक्खाति, पाचार्ण कम्माणं अकरणयाए । अहवा- पक्षा तिबिहे पण, तं जहा
प्रत्याख्यान के प्रकार२४६. प्ररमियान तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
पाप कर्म न करने के लिए(१) कोई मन से प्रत्याख्यान करते हैं । (२) कोई वचन से प्रत्याख्यान करते हैं। (३) कोई काया से प्रत्यास्यान करते हैं । अथवा प्रत्याख्यान तीन प्रकार का कहा गया है, यथापाप कर्म न करने के लिए
(१) कोई दीर्घकाल के लिए पापकर्मों का प्रत्याश्यान करते है।
(२) कोई अल्पकाल के लिए पाप-कर्मों का प्रत्याख्यान करते हैं।
(३) कोई काया का निरोध कर लेते हैं।
१. बोहपेगे अदं पच्चजाति,
२. रहस्सपेगे अचं पन्चरखाति',
३. कार्यपेगे पढिसाहरति, पावागं फम्माणं करणयाए ।
-ठाणं. भ. ३, ३.१, मु. १३६ पंचबिहे पश्चपहाणे पणसे, तं पहा१. सदरणसुबे, २. विणयसुसे, ३. अगुभासणामु. ४. अणुपासणासुळे,
५. भावसुद्ध।
---ठाणं. अ. ५,उ.३.सु. ४६६
पश्चक्खाण-भेयप्पभेया२५०. ५०–कतिविहे गं भंते ! पवखाणे पग्णते ?
प्रत्याख्यान पाँच प्रकार का कहा गया है, जैसे(१) शुद्ध श्रद्धा पूर्वक किया गया त्याग । (२) विनय पूर्वक किया गया त्याग । (३) 'वोसिरामि' कहते हुए प्रत्याख्यान ग्रहण करना।
(४) विकट स्थिति में भी प्रत्याख्यान का निर्दोष पालन करना।
(५) राग द्वेष से रहित होकर शुद्ध भाव से प्रत्याभ्यान का पालन करना। प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेद२५०. ०-भगवन् ! प्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है?
30-गौतम ! प्रत्याख्यान दो प्रकार का कहा गया है, यथा
(१) मूत्रगुण प्रत्याख्यान, (२) उत्तरगुण प्रत्याख्यान ।
प्र०-भगवन् । मूलगुण प्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है?
उ.-गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है--
(१) सर्वमूलगुण प्रत्याख्यान, (२) देशमूलगुण प्रत्याख्यान ।
उ.-गोषमा | बुबिहे पश्चस्थाणे पण्णत्ते, तं महा
१. मूलगुणपश्चखाणे य, २. उत्तरगुणपच्चक्खाणे य। ५० - मूलगुगपच्चक्खाणे गंमते ! कतिषिहे पण्णत्ते ?
उ
गोयमा ! वुविहे पण्णसे, सं जहा
१. सम्बमूलगुणपच्चक्खाणे य, २. देसमूलगुणपश्चखाणे प ।
१-१ ठाणं. अ. २. उ. १, सु. ५२