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चरणानुयोग-२
विराधक वामप्रस्थ
सूत्र ३२१
३. कोसिया, ४. अण्णई, ५. साई, ६. पालई, ७. मुंबउट्ठा, ६. बंतुक्खलिया, ९. उम्मज्जगा, १०. सम्माजगा, ११. निमज्जगा, १२. संपक्वाला,
१३. दक्षिणकूलगा, १४. उत्तरकूलगा, १५. संखधमगा, १६. कूलधमगा, १७. भिगलुबगा,
१८. हरियतावसा,
१६. उबंडगा, २०. दिसापोक्षिणो,
(३) पृथ्वी पर सोने बाले, (४) यज्ञ करने वाले, (५) श्राद्ध करने वाले, (६) पात्र धारण करने वाले, (७) कुण्डी धारण करने वाले, (4) फल-भोजन करने वाले, (E) पानी में एक बार डुबकी लगाकर नहाने बासे, (१०) बार-बार डुबकी लगाकर नहाने वाले, (११) पानी में कुछ देर तक डूबे रहकर स्नान करने वाले,
(१२) मिट्टी आदि के द्वारा देह को रगड़कर स्नान करने पाले,
(१३) गंगा के दक्षिणी तट पर रहने वाले, (१४) गंगा के उत्तरी तट पर निवास करने वाले, (१५) तट पर शंख बजाकर भोजन करने वाले, (१६) तट पर खड़े होकर, शब्द कर भोजन करने वाले,
(१७) व्याधों की तरह हिरणों का मांस खाकर जीवन चलाने वाले,
(१८) हाथी का वध कर उसका मांस खाकर बहुत काल व्यतीत करने वाले,
(१६) दण्ड को ऊंचा किये घूमने वाले,
(२०) दिशाओं में जल छिड़ककर फलफूल इकट्ठे करने वाले,
(२१) वृक्ष की छाल को वस्त्रों की तरह धारण करने वाले, (२२) गुफाओं में निवास करने वाले, (२३) समुद्र तट के समीप निवास करने वाले, (२४) पानी में निवास करने वाले, (२५) वृक्ष के नीचे निवास करने वाले, (२६) जल का आहार करने वाले, (२७) हवा का ही आहार करने वाले, (२८) काई का आहार करने वाले, (२९) मूल का आहार करने वाले, (३०) कन्द का आहार करने वाले, (२१) वृक्ष की छाल का आहार करने वाले, (३२) वृक्ष के पत्तों का आहार करने वाले, (३३) फूलों का आहार करने वाले, (३४) फलों का आहार करने वाले, (३५) बीजों का आहार करने वाले,
(३६) अपने आप गिरे हुए कन्द, मूल, छाल, पत्र, पुष्प तथा फल का आहार करने वाले,
२१. वाकवासिणो, २२. बिलवासिणो, २३. बेलवासिणो, २४, जलवासिणो, २५. सामूलिया, २६. अंबुभक्खिणो, २७. वाउभषिक्षणो, २८. सेवालमक्षिणो, २६. मूलाहारा, ३०. कंदाहारा, ३१. तयाहारा, ३२. पत्ताहारा, ३३ पुष्फाहारा, ३४. फलाहारा, ३५. बीयाहारा, ३६. परिसडिय-कंद मूल-तय-पस-पुष्फ-फलाहारा,