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परमानुयोग-३
बस प्रकार के प्रत्याख्यान
सू२३६-२३६
संचालहि एकमाइएहिं आगारहि, अभग्गो, अविराहिओ, इत्यादि आगारों से मेरा कायोत्सर्ग अभग्न एवं अविराधित हो। हुज्ज मे काउस्सगो। जाव अरिहंताणं भगवंताणं. नमुक्कारेण न पारेमि, ताब जब तक अरिहंत भगवान् को नमस्कार न कर लूं अर्थात् कायं ठाणण, मोणेणं, शाणेणं, अपागं वोसिरामि। "नमो अरिहताणं" न पड़ लू, तब तक एक स्थान पर स्थिर --आव, अ. ५, सु. ३६-३७ रहकर, मौन रहकर, धर्म ध्यान में चित्त की एकाग्रता करके
अपनी आत्मा को पाग व्यापारों से अलग करता है।
बस पच्चक्खाग-४
बसविह-पचक्खाणा
दस प्रकार के प्रत्याख्यान-- णमोक्कार-सहियं पच्चक्लाण-सुतं
नौकारसी प्रत्याख्यान सूत्र२३७. उग्गए सूरे नमोक्कारसहिय' पस्चक्यामि, चम्विहं पि २३७. सूर्योदय बाद से (एक मुहूर्त पर्यन्त) “नमस्कार सहित" माहार-असणं, पाणं, खाइम, साइमं ।
अशन, पान, खादिम, स्वादिम चारों ही प्रकार के बाहार का
प्रत्याख्यान करता हूँ। १. अन्नस्थऽणामोगेणं, २. सहसागारेणं,
(१) अनाभोग,
(२) सहसाकार, वोतिरामि।
याव. अ. ६, सु. ६५ इन दो आगारों के सिवाय चारों प्रकार के आहार का त्याग
पोरिसी परचक्खाण-सु..
पौरुषी प्रत्याख्यान सूत्र२३८. जग्गए सूरे पोरिसि' पच्चरखानि, उठिवह पि आहार- २३८. सूर्योदय से लेकर पौरुषी तक अशन, पान, खादिम, असणं, पाणं, खाइम, साइमं ।
स्वादिम इन चारों प्रकार के आहार का प्रत्यास्पान करता हूँ। १. समत्थाणाभोगेगं, २ सहसागारेणं, ३. पच्छन्नकालेणं, (१) अनाभोग, (२) सहसाकार, (३) प्रच्छन्नकाल, ४. विसामोहेणं, ५. साहुवयणेणं,
(४) दिशामोह,
(५) साधु-वचन, ६. सम्बसमाहिवत्तियागारेणं,
(६) सर्व-समाधि प्रत्ययागार, दोसिरामि।
-आव. अ. ६, सु.८७ इन छह आगारों के सिवाय पूर्णतया चारों आहार का त्याग
करता हूँ। पुरिमड्ड पम्यवखाण-सुतं
दो पौरुषी प्रत्याख्यान सूत्र२३६. उग्गए सूरे, पुरिमड्ड' पच्चरखामि, चम्विहं पि आहारं - २३६. सूर्योदय से लेकर दिन के पूर्वार्द्ध तक अर्थात् दो प्रहर तक भसणं, पाणं, खाइम, साइमं ।
अशन, पान, खादिम, स्वादिम चारों प्रकार के आहार का प्रत्याख्यान करता हूँ।
है यह नमस्कार सहित" प्रत्याख्यान का सूत्र है। सूर्योदय से लेकर एक मुहुर्त बाद जब तक नमस्कार मन्त्र न पड़े तब तक
माहारादि ग्रहण नहीं करना नौकारसी' कहलाता है। २ सूर्योदय से लेकर एक प्रहर दिन चढ़े तब तक चारों प्रकार के बाहार का त्याग करना 'पौरुषी' प्रत्याख्यान है। ३ यह 'पूर्वाध' प्रत्यारूमान का सूत्र है। इसमें सूर्योदय से लेकर दिन के पूर्व भाग तक अर्थात् दो प्रहर दिन चढ़े तब तक चारों
बाहार का त्याग किया जाता है।