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विषय
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२८३ २८४ २८५
२८६
प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेद सुप्रत्याख्यानी और दुष्प्रत्याख्यानी का स्वरूप ज्ञान पूर्वक प्रत्याख्यान करने वाले प्रतिक्रमण फल-६ प्रतिक्रमण का फल
२८७
२८८ २८९ २९० २९१ २९२
१०३
११३ ११४ ११४ १२५ ११५
२५४
२९३ २९४
११६ १२१
२९५
१२१
२६२
२९६
१२१
१२५
२९७ २९८ २९९
सूबाक पृष्ठाक अनर्थदण्ड-विरमण-व्रत का स्वरूप और अतिचार
सामायिक व्रत का स्वरूप और अतिचार २५०
सामायिक किये हुए की क्रिया २५१ १०१
सामायिक किये हुए का ममत्व २५२
सामायिक किये हुए का प्रेमबंधन
देशावगासिक व्रत का स्वरूप और अतिचार २५३ १०२
पौषध व्रत का स्वरूप और अतिचार अतिथि संविभाग-व्रत का स्वरूप और अतिचार
श्रमण को शुद्ध आहार देने का फल २५५
असंयत को आहार देने का फल २५६ १०३
मापक प्रतिमा-1
ग्यारह उपासक प्रतिमायें २५८ १०३
श्रमणोपासकों की तीन भावनाएं २५९ १०४
भावक के प्रत्यास्पान-४ २६० १०४
प्रत्याख्यान पालन का रहस्य २६११०४
प्रत्याख्यान का स्वरूप व उसके TOY
करण योगों के भंग २६३ १०४ २६४ १०५
गृहस्थ धर्म का फल-५ शीलरहित और शीससहित श्रमणोपासक
के प्रशस्त-अप्रशस्त
सुव्रती गृहस्थ व उसकी देवगति २६५ १०५
असंयत की गति २६६ १०५
आजीविक श्रमणोपासकों के नाम, कर्मादान २६७ १०६
और गति २६८ १०६
. आराधक-विराधक २६९ १०६
आराधक विराधक का स्वरूप-१ २७०
आराधक का स्वरूप विराधक का स्वरूप
आराधक-निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्थी ર૭ર
भिक्षु की आराधना-विराधना २७३
दृष्टांत द्वारा आराधक-पिराधक का स्वरूप २७४.
श्रुत और शील से आराधक-विराघक का स्वरूप २७५
आराधक-अनाराधक निन्ध आदि के भंग
आपाकर्म आदि की विपरीत प्ररूपणा २७६ १०९
आराधना विराधना के प्रकार-२
आराधना के प्रकार २७७
जघन्य-उत्कृष्ट आराधना
विराधना के प्रकार २७८
आराधक विराधक की गति-३ २७९ ११० आराधक-अणारम्भ-अणगार २८० ११० आराधक अल्पारम्भी श्रमणोपासक
आराधक' 'सन्निपषेन्द्रिय तिर्यचयोनिक २८१ ११० विराधक एकान्त बाल २८२ १११ विराधक अकाम निर्जरा करने वाले
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प्रत्याख्यान का फल संभोग प्रत्याख्यान का फल उपधि प्रत्याख्यान का फल आहार प्रत्याख्यान का फल कषाय-प्रत्याख्यान का फल भोग-प्रयाख्यान का फल शरीर-प्रत्याख्यान का फल सहाय-प्रत्याख्यान का फल भक्त-प्रत्याख्यान (अनशन) का फल सद्भाव-प्रत्याख्यान का फल प्रत्याख्यान भंग का प्रायश्चित सूत्र
गृहस्थ-धर्म गृहस्प धर्म श्रमणोपामको के प्रकार श्रमणोपासक के चार विश्रान्ति स्थान सामान्य रूप से मतिचारों का विशुद्धिकरण अल्पायुबंध के कारण दीर्घायु बध के कारण अशुभ दीर्घायुबंध के कारण शुभ दीर्घायुबंध के कारण समकित सहित वाह व्रत-२ सम्यक्त्व का स्वरूप और अतिचार सम्यक्त्व की प्रधानता श्रावक धर्म के प्रकार स्थूल-प्राणातिपात-विरमण-व्रत का स्वरूप
और अतिचार स्यूल-मृषावाद-विरमण-श्रत का स्वरूप और
अतिचार स्पूल-अदतादानविरमण-व्रत का स्वरूप और
अतिचार स्थूल-मैथुन-विरमण-व्रत का स्वरूप और
अतिचार परिग्रह-परिमाणवत का स्वरूप और अतिचार दिशाव्रत का स्वरूप और अतिचार उपभोग-परिभोग-परिमाण-व्रत का स्वरूप
और अतिचार पन्द्रह कक्षन
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३०१ ३०२ ३०३ ३०४ ३०५
१२७ १२८ १२८
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३०७ ३०८
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