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भरतेश वैभव कि विद्याधर आपके दर्शनके लिए बहुत कालसे उत्सुक थे। पुण्य के संयोगसे आज उनकी इच्छाकी पूर्ति हुई । देव ! लोकमें सामान्य पदको प्राप्त करनेवाले बहुत हैं परन्तु घट्यण्ड पृथ्वीके राज्यभारको बहनेवाले कौन हैं ? कदाचिन पटखण्ड भूमिको पालन करनेपर भी स्वामिन् ! आपकी सुन्दरता देवेन्द्र और नरेन्द्रों में किसने पाई है ? ___ मैं मुखस्तुति नहीं कर रहा हूँ । भगवान आदिनाथके पदोंकी साक्षीपूर्वक कह रहा हूँ कि आपके शरीर मौदर्यको देखकर मुग्ध न होनेवाले स्त्री-पुरुष क्या इस भूमण्डलम मिल सकते हैं ?
स्वामिन् ! हमारे साथ आव हार राजा तीन सौ सून्दर कन्याओंको आपको समर्पण करने के लिय लाए हैं। इसलिये बिबाहके लिये आज्ञा होनी चाहिये । इत्यादि विषम बहुत विनयके साथ सुमतिसागरने निवेदन किया । भरतेश्वरने भी मुनकराकर सुमतिसागरको बैठनेके लिये कहा । बुद्धिसागर मंत्रीने ममयको जानकर सुमतिसागरको प्रशंसा की । साथने अन्य मित्रोंने भी प्रशंसा की। बुद्धिसागरने सम्राट्से यह भी कहा कि विवाह कलकी रानमें हो। आज इन लोगोंको विश्रांति लेनेके लिये आज्ञा होनी चाहिये । सम्राटने भी बुद्धिसागरके वचनको सम्मति दी । सुखके आगमनकी प्रतीक्षा कौन नहीं करते हैं ? ____ आये हुए सज्जनोंको योग्य रीतिसे आदरसत्कार करने के लिये सम्राट्ने बुद्धिसागरको आज्ञा दी। साथमें उन विद्याधर राजाओंको उसी समय अनेक रत्नवस्त्राभरणोंको भरतेश्वरने 'मेंट किया। साथमें विनमिराज व मुमतिमागरकी भी उनमोत्तम रत्नोंको समर्पण किया और सबको उनके लिए निमित महलोंमें भेजा।
दुसरे दिन उस सेनाराज्य में विवाहकी तैयारी होने लगी। सर्वत्र लोग आनन्द ही आनन्द मनाने लगे । मन्दिरोंमें तोरण, पताका वगैरह फड़कने लगे । करोड़ों प्रकारके वाद्यविशेष बजने लगे। परकोटा, राजद्वार, गोपूर आदि स्थान अत्यधिक मुशोभित किये गये। राजागण व व्यंतर भी अपने-अपने शृंगार करने लगे । साथमें सुवर्ण व रत्नमय तीन सौ विवाह मंडप भी निर्मित हए. विशेष क्या ? महलका शृंगार हुआ, रानियोंने अपना शृङ्गार उत्साहके साथ किया। भरतेश्वरने अपना शृङ्गार कर लिया। वहाँपर बात ही बातमें एक महोत्सव भी हुआ।
विद्याधर राजाओंने अपनी पुत्रियोंको नवनिर्मित सुन्दर आभूषणोंका शृङ्गार कराया। उनकी दासियोंने सब प्रकारसे सुन्दर आभूषणों