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भरतेश वैभव वहाँ वह आगे बढ़ नहीं सकता है, चक्रके एकदम रुकनेसे सबको आश्चर्य हुआ। - भरतेश्वरने मंत्री को बुलाकर पूछा कि मंत्री ! चक्ररत्न क्यों रुक गया ? उत्तरमें मंत्रीने कहा कि आपके छोटे भाई बाहुबलि आदिके आकर नमस्कार करने की जरूरत है। इसलिये वह रुक गया है।
सेनाको वहींपर मुक्काम करनेके लिये आदेश दिया। बादमें बाहुबलिको छोड़कर बाकी भाइयोंको भरतेश्वग्ने विजयपत्र भेजा व सूचित किया कि आप लोग आकर मुझसे मिले व मेरी आधीनताको स्वीकार करें । उन भाइयोंको पत्र देखकर दुःख हुआ। राज्यके लोभका उन्होंने परित्याग किया। उनके मनमें विचार आया कि जब हमारे पिताके द्वारा दिये हए राज्य हमारे पास हैं तो फिर हमें दूसरोंके आधीन होकर रहने की क्या आवश्यकता है ? उत्तरमें कुछ न बोलकर सीधा कैलाश-पर्वतकी ओर गए। वहाँपर पूज्य पिता श्री आदिप्रभुके चरणोंमें दीक्षित हुए।
९३ सहोदरोंने एकदम दीक्षा ली यह सुनकर भरतश्वरको मनमें दुःख हुआ, साथ ही उनके स्वाभिमान व वीरतापर गर्व भी हुआ । अब बाहबलिको बुलानेका विचार कर रहे हैं। सबके पत्रमें यह लिखा था कि आप लोग आकर मेरी आधीनताको स्वीकार करें। इसलिए वे दीक्षित होकर चल गये । अब बाहुबलिको उस तरह लिखना उचित नहीं होगा । बहत ऊहापोहके बाद यह निश्चय हआ कि सर्व कार्य में कुशल दक्षिणांकको वहाँपर भेजा जाय । सम्राट्ने दक्षिणांकको बुलाकर आशा दी कि तुम पौदनपुरमें जाकर किसी उपायसे बाहुबलिको यहाँ लेकर जाओ । दक्षिणांकने भी तथास्तु कहकर पोदनपुरके अन्दर प्रवेश किया। साथमें अनेक गाजेबाजे परिवारको लेकर गया। बहुत वैभवके साथ आ रहा है। उसकी जो स्तुति कर रहे हैं उनको अनेक प्रकारसे इनाम देते हुए, सबको संतुष्ट करते हुए आगे बढ़ रहा है। उसे किस बातकी कमी है ? चक्रवर्तीके खास मित्रोंमेंसे वह दक्षिण है। ___ गाजेबाजेके शब्दोंको बन्दकर कामदेवके नगरकी शोभाको देखते हुए दक्षिणांक महलकी ओर जा रहा है। नगरमें जहाँ देखो यहाँ भोगांग ही दिख रहे हैं वहाँके नगरवासी भोगमें मग्न हैं। उनकी वृत्तिको देखनेपर मालूम होता है कि भोगके सिवाय अन्य पाठ ही उनको मिला नहीं है ।
कहीं गुलाबजलके लोटे भरे रखे हैं तो कहीं कपूरकी राशि दिख