Book Title: Bharatesh Vaibhav
Author(s): Ratnakar Varni
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 712
________________ भरतेश वैभव हे सिद्धात्मन् ! आप विस्मयस्वरूप हैं, विचित्रसामयंसे युक्त हैं । आकस्मिक महिमा सम्पन्न हैं । महेश ! अस्माराध्य ! दशदिशारश्मि ! हे निरंजनसिद्ध ! मुझे सम्मति प्रदान करो । इसी भावनाका फल है कि उन्होंने अलौकिक परमानंदमय पदको प्राप्त किया । .२५८ सिंधि मोक्षविजयनाम चतुर्थ कल्याणं सम्पूर्णम् 11801

Loading...

Page Navigation
1 ... 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730