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भरते वैभव
१०१ संयोजन कर एक बार उच्चारण किए हुए शब्दको पुनरुच्चारण न कर नवीन-नवीन शब्दोंका प्रयोग किया गया और तत्वचर्चा की गई। ___काव्यनिर्माणमें वर्णक, वस्तुक नियमको ध्यानमें रखकर कर्णरसामृतके रूपमें सुन्दर कविताओंका निर्माण किया। विशेष क्या ? गण, पद, सन्धि, समास आदि विषयोंमें निर्दोष लक्षणको ध्यानमें रखकर एक क्षणमें सौ श्लोक और एक घटिकामें एक सम्पूर्ण काव्यको ही वे लीलामात्रसे तैयार करते थे । लोग इसे सुनकर आश्चर्य करेंगे। परन्तु अन्तर्मुहूर्तमें द्वादशांग आगमको स्मरण कर, लिखकर पढ़नेवाले महायोगियोंके शिष्योंके लिए काच्य निर्माणकी यह सामथ्र्य क्या आश्चर्यजनक है ?
उनके लिए अष्टावधानकी क्या बड़ी बात है ? लक्षावधानकी दष्टि ही उनका शरीर है, सुबुद्धि ही उनका मुख है। इस प्रकार बहुत ही चातुर्यसे उन्होंने काव्यका निर्माण किया। अड़तालीस कोस प्रमाण विस्तृत मैदानमें व्याप्त सेनामें जो कुछ भी चले उसको अपनी महल में बैठकर जाननेवाले सम्राट्के गर्भमें आनेवाले इन पुत्रोंको लक्षावधान शान रहे इसमें आश्चर्यको बात क्या है ?
कंठमालाओं के समान नवीन नवीन कृत्तियोंको लिखने योग्य रूपसे दे रच रहे हैं। जिस समय काव्यपठन करते हैं, उस समय कठका संकोच बिलकुल नहीं होता है।
एक कुमारने विनोदके लिए विषयाणोके द्वारा एक वृक्षका वर्णन किया तो वह वृक्ष एकदम सूख गया । पुनः अमृतवाणोसे वर्णन करनेपर फल-पुष्पसे अंकुरित हुआ।
एक कुमारने तोतेका वर्णन उग्रवाणीसे किया तो तोसा कोंबड़ेके समान कर्कश स्वरसे बोलने लगा । पुनः शांतवाणीसे वर्णन करनेपर वह पुनः शान्त होकर मधुर शब्द करने लगा।
इस प्रकार अनेक प्रकारके विनोदसे बांश वृक्षको फलसहित वृक्ष बनाकर फलसहित वृक्षको बाँझ बनाकर अपने राजधर्मके शिक्षा, रक्षा आदि मुणोंको कविताओंके द्वारा प्रकट कर रहे थे। ____ कविता तो कल्पवृक्षके समान है । जो विद्वान उसके रहस्यको जानते हैं वे सचमुचमें कल्पवृक्षके समान ही उसका उपयोग करते हैं। उसके रहस्यको उन राजकुमारोंने जान लिया था। अब उनको बराबरी कौन कर सकते हैं?