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भरतेश वैभव दीक्षा लेंगे' । सम्राट्ने प्रश्न किया उत्तरमें भरविंदने कहा कि स्वामिन् तब तो सुनिये ! हमारी सबसे अधिक बिगाड़ करनेवाला तो वही कुमार है। उस रविकीर्तिकुमारने ही ध्यानको खूब प्रशंसा की । दीक्षाकी स्तुति की। मनुष्यजन्मको निंदा की। उसकी बातसे सब कुमार प्रसन्न हुए, उसीसे तो हम लोगोंकी व इस देशकी आज यह दशा हुई।
भरतेश्वरने कहा कि अच्छा ! हम समझ गये 1 दीक्षा लेनेका जब विचार हआ तब पिताको कार दीक्षा लेंगे। इसमालारमा स्नमें पाने भी मेरा स्मरण नहीं किया ? उत्तरमें अरविंदने कहा कि स्वामिन् ! कुछ कुमारोंने जरूर कहा कि पिताजोसे पूछकर दीक्षा लेंगे, तब कुछ कहने लगे कि पिताजीको पुछनेसे हमारा काम बिगड़ जायगा । वे कभी सम्मति नहीं देंगे। इस प्रकार उनमें ही विचार चलने लगा । उनमें कोई-कोई कुमार कहने लगे कि पिताजी तो कदाचित् सम्मति दे देंगे। परन्तु मातायें कभी नहीं देंगी । जब अपन दीक्षा लेनेके लिए जा रहे हैं तब उनको पूछने की जरूरत ही क्या है ? वे कौन हैं? हम कौन हैं ? हमारा उनका संबंध ही क्या है । इस प्रकार बोलते हुए आगे बढ़े।
उस बातको सुनकर भरतेश्वर हंसते हुए कहने लगे कि अरे ! वे तो हमारे अंतरंगको भी जानते हैं ! बोलो ! फिरसे बोलो ! उन्होंने क्या कहा ! अरविंदने कहा कि स्वामिन् ! वे कहते थे कि कदाचित् पिताजी एक दफे इनकार करेंगे तो फिर समझकर जाने देंगे, परन्तु हमारी मातायें कभी नहीं जाने देंगी 1 वे तो मोक्षांतरायमें सहायक हो जायंगी।
चक्रवर्ती मी माश्चर्यान्वित हुए । वयमें ये छोटे होनेपर भी आत्माभिप्रायमें ये छोटे नहीं हैं । इनमें इतना विवेक है, यह में पहिले नहीं जानता था । इस प्रकार भरतेश्वरने आश्चर्य व्यक्त किया। ___ यहाँ उपस्थित चकवर्तीक मित्रोंने कहा कि स्वामिन् ! रत्नकी खानमें उत्पन्न रलोको कांतिका मिलना क्या कोई काठिन है ? आपके पुत्रोंको विवेक न हो तो आश्चर्य है । तब भरतेश्वरने कहा कि नागर ! दक्षिण । देखो तो सही ! उनको जाने दो, जानेकी बात नहीं कहता है। परन्तु जाते समय अखिल प्रपंचको जाननेका चातुर्य जो उनमें आया, इसके लिए में प्रसन्न हआ। सेवकोंको न डांटते हए ले जानेका प्रकार, मुझे व उनकी माताओंको न पूछकर जानेका विचार देखनेपर चिप्तमें आश्चर्य होता है।
स्वामिन् ! युक्तिमें वे सामान्य होते तो इस उमरमें दीक्षा लेकर मोक्ष के लिए प्रयत्न क्यों करते ? उनकी कीर्ति सचमुचमें दिर्गत व्यापी होगई है । इस प्रकार चकवर्तीक मित्रोंने उनकी प्रशंसा की।