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प्रागभावसिद्धि ]
प्रथम परिच्छेद
[ ११५
'प्रागभावात्पूर्वं घटस्योपलब्धिप्रसङ्गः, तद्विरोधिनः प्रागभावस्याभावात् । द्वितीये प्रागभावकाले घटस्यानुपलब्धिप्रसक्तिः, 'तस्यानन्तत्वात् । तृतीये तु सदानुपलब्धिः । चतुर्थे पुनर्घटोत्पत्तौ' प्रागभावस्याभावे घटोपलब्धिवदशेषकार्योपलब्धिः स्यात्, सर्वकार्याणामुत्पत्स्यमानानां प्रागभावस्यैकत्वात् । प्यावन्ति कार्याणि तावन्तस्तत्प्रागभावाः । तत्रैकस्य प्रागभावस्य विनाशेपि शेषोत्पत्स्यमानकार्यप्रागभावानामविनाशान्न घटोपलब्धौ सर्वकार्योपलब्धिरिति 13चेत्तयनन्ताः14 प्रागभावास्ते 1 स्वतन्त्रा भावतन्त्रा वा ? स्वतन्त्राश्चेत्कथं न भाव
__और यदि आप तृतीय पक्ष लेवें कि प्रागभाव अनादि अनन्त है, तब तो घट की सदा अनुपलब्धि ही रहेगी अर्थात् कभी भी घट उत्पन्न ही नहीं हो सकेगा, क्योंकि घट का प्रागभाव तो अनादि अनन्त है । जब प्रागभाव का नाश होवे तब घट उत्पन्न होवे किन्तु अनादि अनन्त प्रागभाव का नाश ही असम्भव है पुनः घट आदि कोई भी कार्य उत्पन्न ही नहीं हो सकेंगे।
तथा प्रागभाव अनादि सांत है ऐसा चौथा विकल्प लेवें तब तो घट की उत्पत्ति के समय प्रागभाव का अभाव होने पर जैसे घट की उपलब्धि होती है वैसे ही अशेष सभी कार्यों की उपलब्धि-उत्पत्ति का प्रसङ्ग आ जावेगा, क्योंकि उत्पन्न होने वाले सभी कार्यों का प्रागभाव एक ही है ।
योग-ऐसा नहीं कहना क्योंकि जितने कार्य हैं उतने ही उनके प्रागभाव हैं । अतः एक प्रागभाव के विनाश होने पर भी शेष सभी उत्पन्न होने वाले कार्यों के प्रागभाव का विनाश नहीं होता है। अतएव घट कार्य की उत्पत्ति के होने पर सम्पूर्ण कार्यों की उत्पत्ति का प्रसङ्ग एक साथ नहीं होता है। अर्थात् घट का प्रागभाव नष्ट होकर घट बना उस समय पट, मठ आदि का प्रागभाव नष्ट नहीं हुआ है अतः सम्पूर्ण कार्य एक साथ ही उत्पन्न होवें ऐसा दोष नहीं आता है।
चार्वाक-तब तो प्रागभाव अनन्त हो गये। पुनः वे अनन्तप्रागभाव स्वतन्त्र-अनाश्रित हैं या भावतन्त्र-पदार्थ के आश्रित हैं ?
__ यदि आप इन अनन्त प्रागभावों को स्वतन्त्र कहें तब तो वे भावस्वभाव क्यों नहीं होंगे, कालादि के समान । अर्थात् जैसे काल, आकाश आदि स्वतन्त्र पदार्थ हैं वैसे ही प्रागभाव भी स्वतन्त्र होने से पदार्थरूप ही सिद्ध हो गये न कि पदार्थ के विशेषणरूप। और यदि आप कहें कि भाव के हैं अर्थात्
वे अनन्त प्रागभाव भावतन्त्र हैं तब पुन: वे उत्पन्न हो चुके पदार्थों के आश्रित हैं या उत्पन्न होने वाले पदार्थों के आश्रित हैं ? प्रथम पक्ष स्वीकार करना तो उचित नहीं है क्योंकि उत्पन्न
1 पश्चादिव। 2 घटविरोधिनः । 3 (प्रागभावात्पूर्व प्रागभावाभावोस्ति, प्रागभावस्य सादित्वात्)। 4 प्रागभावस्य उत्सत्यनन्तरमविनाशित्वात्। 5 घटस्य। 6 तस्यानाद्यनन्तत्त्वात्। (दि० प्र०) 7 सत्याम् । (दि० प्र०) 8 पटादौ । (दि० प्र०) 9 योगमते । (दि० प्र०) 10 योगः। 11 कार्यम् । (दि० प्र०) 12 एवं च सति । (दि० प्र०) 13 चार्वाकः। 14 अपरिमिताः । (दि० प्र०) 15 अनाश्रिताः। 16 पदार्थः । (दि० प्र०)
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