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अक्रम विज्ञान क्या कहता है ? रिलेटिव में लघुतम, रियल में गुरुतम और स्वभाव में अगुरु-लघु! जो रिलेटिव में लघुतम है, वह रियल में गुरुतम बनता ही है, नियम से! वहाँ भगवान से भेंट हो ही जाती है।
___ जगद्गुरु नहीं बनना है, जगत् को गुरु बनाना है। बगैर गुरुकिल्लीवाले गुरु अर्थात् जो भारी बन बैठे हैं, वे खुद डूबते हैं और ऊपर बैठनेवाले को भी डुबो देते हैं। गुरुकिल्ली तो ज्ञानीपुरुष से ही मिली होनी चाहिए। गुरुकिल्ली अर्थात् 'मैं शिष्य का भी शिष्य हूँ, लघुतम हूँ।' निरंतर ऐसी जागृति।
हर एक को आध्यात्मिक डेवेलपमेन्ट के आधार पर गुरु की ज़रूरत है। किन्डर गार्टन के गुरु, फर्स्ट स्टेन्डर्ड के, सेकन्ड स्टेन्डर्ड के... कॉलेज के और अंतिम गुरु तो पूरे जगत् को गुरु मानते हैं।
जब तक व्यवहार में गुरुतम भाव नहीं जाएगा, 'मैं कुछ हूँ' ऐसा भाव नहीं चला जाएगा, तब तक लघुतम भाव नहीं आ सकता।
लघुतम पद की प्राप्ति बहुत मुश्किल है। वह पद तो उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है, जिस व्यक्ति में हमेशा के लिए ज्ञानीपुरुष द्वारा रियल और रिलेटिव की भेदरेखा डल चुकी हो, जो ज्ञानीपुरुष की आज्ञा में बरतने लगा है, वह लघुतम पद प्राप्त कर लेता है। दृष्टि लघुतम की ओर हो गई, ध्येय लघुतम की ओर का हो गया, तब वह पद प्राप्त होगा।
लघुतम हो चुके, उसकी निशानी क्या है? गाड़ी में से नौ बार उतार दें और नौ बार वापस बुलाएँ तो हर एक बार ज़रा सा भी असर हुए बिना खुद वैसा ही करे, तो समझना कि वह लघुतम हो गया है।
___ 'लघुतम भाव में रहना और अभेद दृष्टि रखना, वह अक्रम विज्ञान का फाउन्डेशन है।' - दादाश्री
गुरुतम अहंकार से संसार सर्जित हुआ है और लघुतम अहंकार से संसार अस्त होता है।
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