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अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010
है। दु:खमुक्ति के उपायों के विजय में कहा गया है कि "गुरु तथा वृद्धजनों की सेवा करना, अज्ञानी लोगों के सम्पर्क से दूर रहना, स्वाध्याय करना, एकान्तवास करना, सूत्र तथा अर्थ का सम्यक् चिन्तन करना तथा धैर्य रखना दु:खमुक्ति के उपाय है।"
शिक्षा चाहे निर्वाह कारिणी हो अथवा जीवन निर्मात्री दोनों के लिए 'गुरु' की अपेक्षा सदा से रहती आई है। और 'गुरु' पद पर आसीन वही होता है जो श्रद्धावान्, ज्ञानी तथा चरित्रवान्, सज्जन, पात्रप्रेमी, परोपकारी, धर्मरक्षक तथा जगत्तारक है
“रत्नत्रयविशुद्धः सन्, पात्रस्नेही परार्थकृत।
परिपालितधर्मो हि, भवाब्धस्तारको गुरुः॥" साथ ही इन गुरुओं के सम्बन्ध में 'समणसुत्तं' में कहा गया है कि -
"जह दीवा दीवसयं पइप्पए सो य दिप्पए दीवो।"
दीवसमा आयरिया, दिप्पंति परं च दीवेंति॥ अर्थात् जैसे एक दीपक से सैकड़ों दीप जल उठते है और वह भी स्वयं दीप्त रहता है वैसे ही गुरु भी स्वपरप्रकाशक होते हैं। अतः ‘ऐसे गुरु के प्रति जिस शिष्य में न भक्ति है, न बहुमान है, न गौरव है न भय न अनुशासन है, न लज्जा है, तथा न स्नेह है उसका गुरुकुल में रहने का क्या अर्थ है?"10
यदि हम वर्तमान की अधिकतर छात्र-मानसकिता का अवलोकन करें तो, न तो उनमें अपने गुरुओं के प्रति सम्मान ही झलकता है और न ही उनसे भय। बढ़ती हुई अनुशासनहीनता का दुष्परिणाम भी छात्र असन्तोष, तोड़फोड़, उपद्रव, हड़ताल, अराजकता व अव्यवस्था तथा मूल्यों के अवमूल्यन के रूप में प्रत्यक्ष ही दृष्टिगोचर हो रहा है। वहीं श्री वादीभसिंह सूरि जी शिष्य की संकल्पना करते हुए कहते है
"जो गुरुभक्त, संसार से भीत, विनयी, धर्मात्मा, कुशाग्रबुद्धि, शान्तपरिणामी, आलस्यहीन और सभ्य होता है वही शिष्य वास्तविक शिष्य कहलाता है।"
एक शिष्य का विनय के साथ अभिन्न सम्बन्ध होता है। विनय के पांच प्रकार कहे गये है- ज्ञान, दर्शन, चरित्र, तप तथा उपचार विनय। ज्ञान विनय के विषय में श्रीमदाचार्य शिवकोटि जी कहते हैं
" काले विणये उपधाणे बहुमाणे तहेव णिण्हवणे।
वंजण अत्थ तदुभये विणओ णाणम्मि अठ्ठविहो।।''13 अर्थात् काल, विनय, उपधान, बहुमान, निह्वव, व्यंजनशुद्धि, अर्थशुद्धि, उभयशुद्धि (द्धव्यंजनशुद्धि और अर्थशुद्धि) ये ज्ञान विनय के विषय में आठ प्रकार की विनय है। अतः विनय के अभाव में ज्ञान की कल्पना आकाशकुसुमवत् असत् ही प्रतीत होती है।
'समणसुत्तं' में विनीत तथा अविनीत शिष्य के विषय में कहा है कि -