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अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010 विदेह-देश के रहने वाले थे, उनके पिता सिद्धार्थ कुण्डपुर (वासोकुण्ड) के राजा थे और उनकी माता त्रिशला 'विदेहदत्ता' कहलाती थी। यह ज्ञातव्य है कि श्वेताम्बर परंपरा में त्रिशला को महाराजा चेटक की बहिन माना जाता है, जबकि दिगम्बर परंपरा में त्रिशला को चेटक की पुत्री माना है। इसी कारण त्रिशला 'विदेहदत्ता' कहलाती हैं और महावीर वैशालेय! बिहार राज्यांतर्गत विदेहादि राज्यों की स्थिति-परिसीमा
दिगम्बर जैन परंपरा के आदिपुराण के अनुसार आदि ब्रह्मा महाराजा ऋषभदेव के विचार या ज्ञान मात्र से इन्द्र ने अयोध्यापुरी में जिन मंदिरों की रचना की। पश्चात् सुकौशल, अवन्ती.....अंग, बंग.....मगध, विदर्भ .....विदेह.....चेदि....शक्र और केकय इन तिरेपन देशों की रचना की।
अविभाजित बिहार राज्य में अंग, मगध और विदेह देश सम्मिलत थे। डॉ. पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य ने आदि पुराण (भाग-1) में इन देशों को निम्न प्रकार दर्शाया है।।
विदेह- मिथिला का पार्श्ववर्ती प्रदेश मगध- राजगृही की पार्श्ववर्ती प्रदेश
अंग- भागलपुर का पार्श्ववर्ती प्रदेश डॉ. राधाकुमुद मुकर्जी ने पूर्व-बुद्धकाल में भारत में सोलह महाजन पदों की सूची अपनी कृति 'हिन्दू सिविलाइजेशन' में प्रस्तुत की है, जिसका आधार बौद्ध परंपरा की पाली कृति अंगुत्तरनिकाय है। सोलह राज्य इस प्रकार हैं, जिन्हें 'बुद्धकालीन भारत' शीर्षक पृ. 179 के नक्शे में दर्शाया है। 1) अंग
9) कुरु 2) मगध
10) पंचाल 3) कसी
11) मच्छ (मत्स्य) 4) कौसलु
12) सूरसेन 5) बाज्जे
13) अस्स (अश्मक) 6) मल्ल
14) अवन्ति 7) चेति (चेदी)
15) गंधार 8) रुस (वत्स)
16) कम्बोज श्वेताम्बर परंपरा के भगवती सूत्र में भी सोलह राज्यों के नाम दिये हैं। वे हैंअंग, बंग, मगह, मलय, मालवा, अच्छ, वच्छ(वत्स), कोच्छ, पाठ, (1पुंड्र), लाढ़, वाज्जे, मोलि (मल्ल), कासी, कौसल, अवाह, संमुत्तर।
उक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि दिगम्बर एवं श्वेताम्बर जैन परंपरा तथा पूर्व-बुद्धकाल में अंग, मगध, विदेह (वाज्जे), मल्ल आदि राज्य बिहार राज्य में सम्मिलित थे। मगध में बिम्बसार (श्रेणिक) का रजतंत्र था जिसकी राजधानी राजगृही थी।
डॉ. राधाकुमुद मुकर्जी ने प्राचीन पाली और जैन आगम के अनुसार उस काल के