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आचार्य कुन्दकुन्द के साहित्य में धर्म
___ -निर्मला जैन स्वभाव धर्म है। जीव का स्वभाव आनन्द है, ऐन्द्रिय सुख नहीं, अतीन्द्रिय आनन्द ही जीव का धर्म है। जिन कार्यों को करने में आनन्द प्राप्त होता है वह धर्म है। धर्म दो प्रकार का है- एक बाह्य दूसरा अन्तरंग। पूजा, दान, शील, त्याग आदि करना बाह्य धर्म तथा साम्यता व वीतराग भाव की अधिकाधिक साधना करना अन्तरंग धर्म/ निश्चय धर्म है। जो प्राणियों को संसार दुःख से उठाकर उत्तम सुख वीतरागता को धारण कराता है वह धर्म है। वीतराग धर्म अधर्म का विनाशक है।
तत्त्वार्थ सूत्र की प्राचीन टीका सर्वार्थसिद्धि में आचार्य पूज्यपाद ने कहा है- “इष्ट स्थाने धत्ते इति धर्मः"। जो इष्ट स्थान में धरता है वह धर्म है अर्थात् जो स्वर्ग/मोक्ष में धारण करता है। निज शुद्ध भाव ही धर्म है। यह संसारी जीवों की चतुर्गति दुःखों से रक्षा करता है। “मिथ्यात्वरागादि संसरण रूपेण भाव संसारे प्राणिनमुद्धृत्य निर्विकारशुद्धचैतन्ये धरतीति धर्मः। मिथ्यात्व व रागादि में संसरण करने रूप भाव संसार से प्राणी को उठाकर जो निर्विकार शुद्ध चैतन्य में धारण करा दे, वह धर्म स्वभाव से अपनी आत्मा में सुख अमृत रूपी शीतल जल से संसार दु:ख का कारण काम क्रोधादि रूप अग्नि के लिए शान्त भाव
निश्चय से संसार में रत आत्मा को जो धारण करे वह विशुद्ध ज्ञान दर्शन भावना रूप धर्म है। व्यवहार नय से उसके साधन के लिए इन्द्र चक्रवर्ती का पद वन्दन योग्य है, उसे प्राप्त करने का उत्तम क्षमादि दश प्रकार का धर्म है। जो धर्मात्मा पुरुषों को नीच पद से उच्च पद में धारण कराता है वह धर्म है। संसार नीच पद और मोक्ष उच्च पद है।" अहिंसाः धर्म स्वरूप
जैनागम में सर्वत्र अहिंसा को महत्त्व दिया गया है। अहिंसा को परम धर्म भी कहा गया। “अयं जिनोपदिष्टो धर्मोऽहिंसालक्षणः सत्याधिष्ठितो विनयमूलः। क्षमाबलो ब्रह्मचर्य गुप्त उपशमप्रधानी नियति लक्षणो निष्परिग्रहतालम्बनः।
अर्थात् जिनेन्द्र देव ने जो यह अहिंसा लक्षण धर्म कहा है, सत्य उसका आधार है, विनय उसकी जड़ है, क्षमा उसका बल है, बह्मचर्य से रक्षित है, उपशम उसकी प्रध नता है, नियति उसका लक्षण है, निष्परिग्रहता उसका अवलम्बन है। धर्म दया से विशुद्ध। निर्मल होता है। जहाँ दया है, वह धर्म है दया में अहिंसा, करुणा, मैत्री आदि का भी समावेश हो जाता है। "सो धम्मो जत्थ दया" तथा "धम्मो दयाविशुद्धो"।
"जीवाणं रक्खणं धम्मो", जीवों की रक्षा करना धर्म है।