________________
अनेकान्त 63/3, जुलाई-सितम्बर 2010
81
नाभिराय, आदिनाथ और उनके पुत्र भरत का विस्तृत विवरण दिया गया है। महाकवि अर्हदास द्वारा रचित 'पुरुदेव चम्पू' प्रौढ़ तथा प्राञ्जल संस्कृत भाषा में निबद्ध श्रेष्ठ चम्पू काव्य है। यह ग्रंथ कोमल चारू शब्द विषय से संपन्न है। भगवान की भक्ति रूपी बीज से इस कविता-लता का उद्भव हुआ हे गद्य काव्य की भांति अनुप्रासमय समास-युक्त शब्दावली इस ग्रंथ में प्रयुक्त हुई है इसका मूल स्रोत जैन पुराणों पर आधारित है। कथा के उपसंहार में अहिंसा का प्रभाव निदर्शित है और सर्वजीव दया की ओर और उन्मुखता प्रदर्शित की गई है। यथा
वृषभसेनमुखा गणिनस्तथा सकलजन्तुषु सख्यमुपागताः। विमलशीलविशोभित-मानसाः
परमनिर्वृतिमापुरिमे क्रमात्॥ ५. दयोदय चम्पू
इस चम्पू काव्य के रचयिता आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज बीसवीं शती के साहित्यकार और जैन दर्शन के महनीय दिगम्बर जैन मुनि-आचार्य थे। उनकी उत्कृष्ट कवित्व शक्ति एवं काव्य साधना संस्कृत के अनेक महाकाव्यों, गीतिकाव्यों एवं दार्शनिक ग्रंथों तथा हिन्दी में उपनिबद्ध लगभग दो दर्जन ग्रंथों में प्रस्फुटित हुई है।
आचार्य ज्ञानसागर महाराज द्वारा प्रणीत 'दयोदय चम्पू' सात लम्भों में विभक्त है। चम्पू के निर्धारित लक्षणानुसार गद्य-पद्य मिश्रित इस काव्य में गद्य के साथ 166 पद्य भी समाविष्ट हैं।
इस ग्रंथ में एक हिंसक धीवर के हृदय में 'दया के उदय' और विकास की कथा वर्णित है। इसीलिए इस कृति का नाम 'दयोदय' रखा गया है जो सर्वथा उपयुक्त है। इस चम्पू की रचना का मुख्य उद्देश्य है- अहिंसा के माहात्म्य का प्रातिपादन, जिससे दयाभाव विकसित हो तथा सुख-शांति भी स्थापित हो। _ 'दयोदय चम्पू में एक हिंसक के हृदय परिवर्तन की कहानी को मुहावरेदार भाषा में निबद्ध किया है। इसमें अन्तर्द्वन्द्व और सम्वादों में सजीवता है। अहिंसा की महत्ता प्रतिपादित की है
जीवितेच्छा यथाऽस्माकं कीटादीनां च सा तथा।
जिजीविषुरतो मर्त्यः परानपि न मारयेत्॥ अपने कथ्य के समर्थन में दयोदयकार ने विभिन्न शास्त्रों, नीतिग्रंथों, काव्यों आदि से उद्धरण देकर और अनेक उपकथाएँ जोड़कर प्राचीन और अर्वाचीन संस्कृति को समन्वित किया है। धीवरी-धीवर के तर्क-वितर्कों में 'संवाद-शैली' की रोचकता विद्यमान है। इस चम्पू में नल-चम्पू के समान बौद्धिक विलास नहीं है। ६. वर्धमान चम्पू
'वर्धमान चम्पू' के रचयिता बीसवीं शती के यशस्वी मनीषी पं. मूलचन्द्र जी शास्त्री,