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अनेकान्त 63/4 अक्टूबर-दिसम्बर 2010
श्री मूलसंधे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे कुन्दकुन्दाचार्याम्नाये भ. श्री पद्मनन्दि देवास्तत्पट्टे सकलकीर्ति देवास्तत्पट्टे सुमतिकीर्ति गुरूपदेशात्, हुबड जातीय मंदिर गौत्रे संघवी देवा भा. देवाभदे तत्सुत संघवी भार्या परवत् भार्या परमलदे तत्भ्रातृ सं. हीरा भा. कोडमदे तत्भ्रातृ सं हरष भा. करमादे सुत लहुआ भा. मिन्ना, भ्रातृ लाडण भा. ललितादे सुतं थापर सं. जेमल भा. जेताही भ्रा. डूंगर भा. धानदे भ्रा. जगमा सं. हीआ, बलादे एतै, सह संघवी जीवादो सागवाड़ा वासूव नित्यं प्रणमति (ज्ञातव्य है कि यह तीर्थंकर मूर्ति सागवाड़ा जिला बांसवाड़ा में प्रतिष्ठित हुई थी और विवेच्य मंदिर में अभी प्रतिष्ठित है)
संदर्भ
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9.
जैन, के. सी. अनेकान्त वर्ष 15 अंक 6, पृ. 279-282
अनेकान्त- वर्ष 13 पृ. 24
चन्दाप्रभु मंदिर झालरापाटन के जैन पुरारी से प्राप्त जैन तीर्थ के एक प्राचीन ग्रंथ से साभार,
पं. 143
(1) अनेकान्त - वर्ष 12, पृ. 125
(2) उक्त वर्ष 13, पृ. 281
वरदा वर्ष 17, अंक 1 जनवरी-मार्च 1974, पृ. 9
पं. गोपाललाल व्यास (प्रथम क्यूरेटर, झालावाड़ राज्य संग्रहालय, 1915 ई.) के हस्तलिखित लेख से साभार
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टाड जेम्स एनाल्स एण्ड एण्टीक्विटीज, भा- 3, पृ. 1789
रदा- पूर्वोक्त
(1) प्रोग्रेस रिपोर्ट ऑफ द आर्कियोलॉजिकल (वेस्टर्न सर्कल) 1904-05 ई., पृ. 32-33 झालावाड़ डिस्ट्रिक गजेटियर, 1964 ई., पृ. 288
(सं.) जैन आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर 1976, पं. 247-248
(2) ढोढीयाल, बी. एन.
10. यू. पी. शाह, एम. ए ठाके 11. जोहरापुरकर विद्याधर भट्टारक संप्रदाय, पं. 132-33
12. जैन बलभद्र - भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ, भाग-4 ( इन लेखों को बरसों पूर्व यद्यपि श्री जैन
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ने रेखांकित किया परन्तु लेखक ललित शर्मा ने भी स्वयं इन्हें परखा, देखा, पढ़ा है, लेखक यहीं का मूल निवासी है।
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जैकी स्टूडियो, १३ मंगलपुरा स्ट्रीट, झालावाड़ - ३२६००१ ( राजस्थान )