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अनेकान्त 63/3, जुलाई-सितम्बर 2010
42. तत्त्वार्थसूत्र, 7/32
43. रत्नकरण्ड श्रावकाचार 82 83
44. धर्मसंग्रह श्रावकाचार, 4/16-18 45. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 90
संख्या बुद्धिमानी की निशानी है शक्कर मीठी है यह पानी में घुल-मिल जाती है तो अपना अस्तित्व व्यापक बना देती है। शक्कर के मिल जाने पर लोग कहते है 'जल मीठा है' पर वास्तविक बात तो यह है कि शक्कर की मिठास है। जैन भी अन्यों में घुल कर उनमें चुपचाप मधुरता भरते रहते हैं। "
आचार्य विनोवाभावे, जैन भारती, वर्ष 15 अंक 16
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- शंकर नगर,
सहारनपुर (उ.प्र.)