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अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010 निम्न गणराज्यों का उल्लेख किया है। 1. शाक्य
कपिलवस्तु 2. बुलिस
अल्लाकप्पा कालामस
केशपुत्त मग्ग
सुसमार पर्वत केलिय
रामगांन मल्ल
पावा मल्ल
कुशीनारा मोरीय
पिप्लीवन विदेह
मिथिला 10. लिच्छवि - वैशाली ___11. नाय
(ज्ञातिक) वैशाली 2 से 5 एवं क्रमांक के छोटे गणराज्य थे। क्रमांक 9,10,11 राज्य वज्जि संघ के अंतर्गत थे जो वैशाली गणतंत्र के नाम से विख्यात था। यह गणराज्य सम्मिलित थे, यथाविदेह, ज्ञातृिक, लिच्छवी, वाज्जेि तथा चार संभवतः उग्र, भोग, इक्ष्वाकु एवं कौरव थे। वैशाली गणराज्य का वर्णन आगे किया है जिसमें भगवान महावीर का जन्म, विदेह-कुण्डपुर में हुआ था। विदेह, मगध आदि की परिसीमाएँ
आगमिक विद्वान पं. सुमेरचन्द्र दिवाकर ने अपनी कृति 'महाश्रमण महावीर' में 'बिहार-थू-दि-एजेज' एवं शक्ति-संगम के आधार पर विदेह (गणतंत्र) की परिसीमा निम्नानुसार निश्चित की है।
"Videh Corresponds mostly with the---- Tirhut division. The Capital of videh was mithila usually identified with Janakpuri in he Nepal Jain. In the course of time Southern Videh developed a new kingdom with its capital of Vaishali, abount 23 miles from Muzaffarpur"17 अर्थात् वर्तमान तिरहुत संभाग में विदेह अन्तर्भूत है। विदेह की राजधानी मिथिला थी। वह नेपाल की तराई में विद्यमान जनकपुरी की मानी जाती है। कुछ समय के अनंतर दक्षिण विदेह ने स्वतंत्र राज्य का स्वरूप प्राप्त कर लिया। उसकी राजधानी वैशाली हो गयी, जो मुजफ्फरपुर से तेतीस मील पर स्थित है।
शक्ति-संगम-तन्त्र के ही प्रसंग से 'विहार थ्रो द एजेज' के पृष्ठ 55 पर लिखा हैगंडक नदी के तट से लेकर चंपारण पर्यन्त का स्थान विदेह अथवा तिरुभुक्ति कहा जाता था। उसके पूर्व पश्चिम तथा दक्षिण मे कोसी, गंडक तथा गंगा- ये तीन बड़ी नदियाँ हैं तथा हिमालय की तराई उत्तर की ओर है। इस क्षेत्र में मुजफ्फरपुर, दरभंगा, चंपारन, मुगेर तथा पुरनिया- ये वर्तमान जिले शामिल होते हैं।