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अनेकान्त 63/2, अप्रैल-जून 2010
विदेह विषये कुण्डसंज्ञायां पुरि भूपतिः नाथो नाथकुलस्यैकः सिद्धार्थाख्यस्त्रिसिद्धिभाक्। तस्य पुण्यानुभावेन प्रियसासीत्प्रियकारिणी॥
वही, (उत्तरपुराण) 75/7-8 अर्थ- विदेह-देश के कुण्डपुर में नाथवंश के शिरोमणि एवं तीनों सिद्धियों से संपन्न राजा सिद्धार्थ राज्य करते थे। पुण्य के प्रभाव से प्रियकारिणी उन्हीं की स्त्री हुई थी।
भगवान महावीर के जन्म के समय सोना, हीरा, मोती आदि रत्नों की वर्षा की पुष्टि वासोकुण्ड-वैशाली के लोकगीतों और कुलगीतों से भी होती है। श्रावण मास में बाज्जिकांचल में गाये जाने वाले लोकगीत में भगवान महावीर के जन्मदिन (तिथी) का भी उल्लेख हुआ है। लोकगीत इस प्रकार है
3. आहे कौना नगरिया भइया
महावीर जन्म लिहले कियो हइन माताजी के नाम है? वासोकुण्ड नगरिया में महावीर जन्म भइले त्रिशला देवी माता जी के नाम है। चइत महिना रामा तेरस इजोरिया (शुक्ल पक्ष) में हो खेला जय जयकार है। सोना जे बरसे रामा, हीरा जे बरसेला मोती बरसे बौछार है। अइसन समइया रामा महावीर जनम भइले
नगर में होइवे जयकार है। अर्थ- प्रश्न:- भइया यह कौन सा नगर है? क्या महावीर ने यहाँ जन्म लिया है? उनकी माता जी का क्या नाम है?
उत्तर- वासोकुण्ड नगर में महावीर ने जन्म लिया है, उनका माता का नाम त्रिशला देवी है। हे रामा, चैत्र मास की तेरस शुक्ल पक्ष में उनका जन्म हुआ था। सभी ने प्रसन्नतापूर्वक जय-जयकार की थी। उस समय, हे रामा, सोना, हीरा और मोतियों की बौछार रूप में वर्षा हुई थी। ऐसे समय (रत्नों की वर्षा सहित) महावीर ने जन्म लिया था! सारी नगरी में जन्मोत्सव की जय-जयकार हुई थी।
वासोकुण्ड-वैशाली के लोकगीतों और कुल गीतों में भगवान महावीर के जन्मस्थल, माता का नाम, जन्म तिथि और रत्नों की वर्षा के वर्णन से डॉ. जयकुमार जैन जलज, रतलाम बहुत प्रभावित हुए। उनके अनुसार 'जड़ प्रमाणों के अलावा लोकगीतों, लोक परम्पराओं और लोक मान्यताओं की जो चेतन प्रमाण समृद्धि आपने (डॉ. राजेन्द्र बंसल) प्रस्तुत की है, वह अकाट्य है लोक की गरिमा और लोक की संवेदना पर मैं इतना मोहित नहीं हुआ था जितना अब! सचमुच लोक एक बहुत बड़ी ताकत है और इतिहास की सच्चाई तक पहुंचने का एक निश्चल साधन है।"