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अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010
'अनेकान्त' के संपादन एवं प्रकाशन के दायित्व को सम्हाला, जो उनके वैदुष्य का निकष
स्फुट साहित्य :
उपर्युक्त के अतिरिक्त मुख्तार साहब ने स्फुट साहित्य की भी रचना की है, जिनमें महावीर जिनपूजा, बाहुबली जिनपूजा, अनित्य भावना का हिन्दी पद्यानुवाद (भावार्थ सहित), सिद्धि सोपान का हिन्दी अनुवाद, वीर पुष्पांजलि, समन्तभद्र विचार दीपिका, नये मुनि विद्यानंद जी की सूझबुझ, बाबू छोटेलाल जी की आपत्तियों का निरसन, जैनाचार्यों का शासन भेद आदि प्रमुख हैं।
इस प्रकार पं. जुगलकिशोर मुख्तार साहब ने जिनवाणी के माध्यम से साहित्य एवं समाज की सेवा की है तथा जैन विद्याओं के विकास में माँ जिनवाणी के चरणों में अपना अमूल्य अर्घ्य समर्पित किया है।
आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार के उपर्युक्त साहित्यिक अवदान का मूल्यांकन करने हेतु 30 अक्टूबर, 1998 से 1 नवम्बर, सन् 1998 तक प्राचार्य डॉ. शीतलचन्द्र जैन जयपुर के निर्देशन में एक त्रिदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन देहरा, तिजारा (राजस्थान) में किया गया था, जिसमें अखिल भारतीय स्तर के लगभग पचास विद्वानों ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया था। यह संगोष्ठी उपाध्यायरत्न 108 श्री ज्ञानसागर जी महराज के संघ सान्निध्य में हुई थी। इस संगोष्ठी में आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार साहब के जीवन परिचय के साथ ही उनके द्वारा लिखे गये मौलिक ग्रंथों, भाष्यों, अनुवादों, संस्कृत-हिन्दी कविताओं और विभिन्न अवसरों पर उनके द्वारा लिखे गये समसामयिक निबन्धों की समीक्षा की गई थी।
इस संगोष्ठी के माध्यम से विद्वानों को मुख्तार साहब को उनके स्वर्गवास के लगभग तीन दशकों बाद याद किया था। इस संगोष्ठी में उन लोगों ने तो सहभागिता निभाई ही थी, जिन्होंने मुख्तार साहब का साक्षात् दर्शन किया था, किन्तु उस संगोष्ठी में मरे जैसे भी दर्जनों विद्वान थे, जिन्होंने उनका कभी दर्शन भी नहीं किया था और मात्र उनके बहुचर्चित साहित्य को देखकर ही उनसे प्रभावित थे। उस संगोष्ठी में अनेक युवा विद्वान और विदुषियाँ भी उपस्थित थी, जिन्होंने पहली बार मुख्तार साहब के साहित्य का आलोडन-विलोडन करके उनके व्यक्तित्व को सहारा था और उस तपःपूत विद्वान् को अपने लेखों के माध्यम से अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
आज इस आलेख के माध्यम से मैं भी परम श्रद्धेय आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार साहब के चरणों में अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ।
-प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, जैन-दर्शन विभाग संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,
वाराणसी (उत्तरप्रदेश)