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अनेकान्त 63/1, जनवरी-मार्च 2010
पाप्त किया जा सकता है। आज वैज्ञानिक उपलब्धियों पर गर्व किया जाता है, किया भी जाना चाहिए लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि मात्र वैज्ञानिक भौतिक उपलब्धियाँ विनाश की ओर ले जाने वाली हैं, यदि यही उपलब्धि अध्यात्मपरक हो जाय तो निश्चित रूप से विश्व में अहिंसक क्रान्ति और सैहार्द का वातावरण बन जाएगा । ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में हुए अनगिनत युद्ध का जिक्र करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि ये सभी युद्ध साम्प्रदायिक संकीर्णता के कारण हुए और इन युद्धों से मानव जाति ही नहीं, संपूर्ण प्राणि जाति का विनाश हुआ है आज हमें राजनैतिक, सामाजिक आर्थिक लोकतंत्रात्मक सृजन भूलक वातावरण की आवश्यकता भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व को है और इसकी पूर्ति का एकमात्र साधन सर्वोदय की अवधारणा और सद्आचरण से ही हो सकती है। अतः आज हम सभी को मुख्तार साहब की पुण्य स्मृति में यह संकल्प लेना चाहिए कि उनकी 'मेरी भावना के अनुरूप विचारसरणि के प्रचार-प्रसार में संलग्न होंगे।
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प्रो. डॉ. कमलेश कुमार जैन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय श्री जुगल किशोर जी के अवदान को जैन विद्या के जीवन्त शाश्वत दस्तावेज निरूपित करते हुए कहा कि मुख्तार साहब प्राच्य विधाओं के गहन अध्येता, महामनस्वी, सफल संपादक, समालोचक, अनुवादक, भाष्यकार, निबन्धकार और सहृदय कवि के रूप में प्रतिष्ठित मुख्तार सा0 के लगभग सत्तर वर्षों की सतत साधना उन्हें किसी संघ के आचार्य के समतुल्य हो है उनका अगाध पाण्डित्य, चिंतन-मनन एवं शोध-खोज का निदर्शन आधुनिक विद्वानों के लिए अनुकरणीय और जैन विद्या को जीवन्त बनाए रखने में मील का पत्थर है। वीर सेवा मंदिर उनकी संकल्प- साधना का अजस्र स्रोत है हम आशा करते हैं कि हम सभी का यह प्रयास होगा कि भविष्य में यह धारा निरन्तर बनी रही।
व्याख्यानमाला का विधिवत् शुभारंभ समागत लब्ध प्रतिष्ठ विद्वानों और वीर सेवा मंदिर के अध्यक्ष श्री सुभाष जैन, मुख्य वक्ता प्रो. रामजी सिंह तथा व्याख्यामाला के अध्यक्ष डॉ. शीतलचन्द जैन जयपुर के करकमलों द्वारा द्वीप प्रज्जवलन से संपन्न हुआ। समागत विद्वदद्वय का स्वागत अभिनंदन परंपरागत रूप से संस्था अध्यक्ष श्री सुभाष जैन, उपाध्यक्ष श्री भारतभूषण जैन, श्री सुरेन्द्र पाल जैन, महामंत्री श्री विनोद कुमार जैन, मंत्री श्री योगेश जैन, कोषाध्यक्ष श्री विरेन्द्र जैन, कोषाध्यक्ष श्री वीरेन्द्र जैन, श्री चक्रेश जैन, धर्मभूषण जैन, श्री