Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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३२
विषय
पृष्ठ
३९४-३९५
३९६-३९९ ४००-४०१ ४०२-४०३ ४०३-४०६ ४०७-४०८
अनुक्रमाङ्क ७३ मुधा दाता एवं मुधा उपभोक्ताका मोक्षगमन का कथन
___ पांचवें अध्ययन का दूसरा उद्देश ७४ अपर्याप्त आहार होने पर पुनर्गोचरी गमन की विधि ७५ समय की मर्यादानुसार गोचरी गमन का कथन ७६ गोचरी में क्षेत्र यतना का कथन ७७ भिक्षाके लिये गृहप्रवेश विधि ७८ पुष्प संस्पर्शहस्तसे भिक्षालेनेका निषेध ७९ सचित्त हरितकाय गृहणका निषेध ८. सचित्त आहार पान लेनेका निषेध ८१ भिक्षाचरणमें विवेकशील होने का कथन ८२ भिक्षामें चोरी का निषेध एवं चोरी के दोष ८३ मद्यपान का निषेध ८४ मध सेवन करनेवाले के दोषका कथन ८५ मद्यपान के दोषोंका त्याग करनेवालेका गुण कथन ८६ तपचोर के र्दोष कथन ८७ तपचोर को अनिष्ट फल प्राप्तिका कथन ८८ उपसंहार
४१०-४११ ४१२-४१८ ४१९-१२२ ४२३-४२४ ४२५-४२९ ४३०-४३२ ४३३-४३५ ४३६-४३७ ४३८-४४०
समाप्त
શ્રી દશવૈકાલિક સૂત્રઃ ૧