Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 351
________________ अध्ययन ५ उ. १ गा० १४ गोचर्या कायचेष्टाप्रकारः ..३१ सकादयश्च' (२।१।७२) इति निपातनात्समासः सिद्धिश्च) उच्चनीचात्मकमने करिधमित्यर्थः । 'उच्चावचं नैकभेद'-मित्यमरः । कुलं-गृहम्' । तत्र द्रव्यत उच्चगृहं-सप्तभूमिकमासादादिकम् , शारदशशाङ्क-घनसार-हार-नीहार-कुन्दा-वदातसुधोज्ज्वलहादिकं प्रोत्तुङ्गतोरणादिकं च । भावत उच्चगृहं-धनधान्यादि सम्पदा समृद्धम् । द्रव्यतो नीचगृहं-धनधान्यादिरहितं दरिद्रगृहम् , सदा-सर्वदा अभिगच्छेत्-चरेत् । अथवा उच्चावचशब्देन उग्रकुलादीनि गृह्यन्ते, तथाहि--- 'उग्गकुलाणि वा भोगकुलाणि वा राइन्नकुलाणि वा खत्तियकुलाणि का इक्खागकुलाणि वा हरिवंसकुलाणि वा एसियकुलाणिवा वेसिद्य कुलाणिकावा कोट्ठागकुलाणि वा गामरक्खकुवाणि वा बुक्कासकुलाणि वा अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु कुलेसु अदुगुछिएमु अगरहिएमु असणं वा४ फासुयं जाव पडिगाहिज्जा (सू.११आचाराङ्ग. २ ० १ अ. २ उ.)। के कुलों में सदा भिक्षा के लिए जावे । उच्च कुल दो प्रकार का है-(१) द्रव्य से उच्च और (२) भाव से उच्च । सतमंजिला आदि, शरद ऋतु के चन्द्रमा, कपूर, हार, वर्फ, या कुन्द पुष्प के समान स्वच्छ, कलई (चूना ) पोतने से जगमगाता हुआ और जिसका फाटक खूब ऊँचा हो ऐसे महल आदि द्रव्य-उच्च कहलाते हैं। (२)धन-धान्यरूपी सम्पत्ति से समृद्ध कुल भाव से उच्च कहलाता है। नीचा कुल भी दो प्रकारका है-- (१)द्रव्य से नीचा और (२) भाव से नीवा । १.वांस, लकडी, घास फूस से बने हुए झोपड़े को द्रव्यसे नीचा कहते हैं। (२) धन-धान्य आदि संपत्ति से रहित निर्धन के कुल को भावसे नीचा कहते हैं। इन सब प्रकारके घरोंमें साधु भिक्षा के लिए जावे । अथवा 'उच्चावच' शब्द से उग्रकुलादि समझ लेना चाहिए । वे बारह प्रकारके कुल आ સદા ભિક્ષાને માટે જાય. स्य न छे : (१) द्र०यथी २य भने (२) माथी च्य. (१) सात મજલા હોય, શરદુઋતુને ચંદ્રમા કપૂર, (મોતીને) હાર, બરફ યા કુંદપુષ્પની પેઠે સ્વચ્છ (ત) હોય, ચૂને ધોળવાથી ઝગમગતો હોય અને જેનું ફાટક ખૂબ ઉંચું હોય એ મહેલ આદિ દ્રવ્ય-ઉચ્ચ કહેવાય છે. (૨) ધન-ધાન્યરૂપી સંપત્તિથી સમૃદ્ધ કુળ ભાવથી ઉચ્ચ કહેવાય છે. નીચકુળ પણ બે પ્રકાનાં હોય છે : (१) द्रव्यथी नीयुमने (२) माथी नीयु. (१) वांस, Assi, घास-पांथी मनi ઝપડાને દ્રવ્યથી નીચું કહે છે. (૨) ધન-ધાન્યાદિ સંપત્તિથી રહિત નિર્ધનના કુળને ભાવથી નીચું કહે છે. એ પ્રકારનાં બધાજ ઘરોમાં સાધુ ભિક્ષા માટે જાય. १ 'कुलं जनपदे गोत्रे, सजातीयगणेऽपि च भवने च तनौ क्लीध-मिति मेदिनी ॥ શ્રી દશવૈકાલિક સૂત્રઃ ૧

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