Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 391
________________ अध्ययन ५ उ. १ गा०५३-५४ श्रमणार्थोपकल्पिताहारनिषेधः ३५१ कहे कि तारिसं = इस प्रकारका आहारादि मे = मुझे (लेना) न कप्पइ = नहीं कल्पता हैं ॥५३॥५४॥ टीका-'असणं.' इत्यादि, तथा 'तं' भवे' इत्यादि । श्रमणाय श्रमणाः लोकप्रसिद्धधनुरोधतो निर्ग्रन्थ-शाक्य-गैरिका-ऽऽजीवकभेदेन पञ्चधा, तत्र निर्ग्रन्थाः = पश्चमहाव्रतधारिणः, शाक्याः = सौगताः, तापसाः = जटाधारिणः, गैरिकाः रक्तवर्णधातुविशेषरजितवस्त्रधारिणः, परिव्राजका इत्यर्थः, आजीवकाः = गोशालकमतानुयायिनस्तदर्थमिदं प्रकृतमित्यादि प्राग्वत् ॥५३॥५४॥ मूलम्-उदेसियं कीयगडं, पूइकम्मं च आहडं । अझोयरय पामिच्चं, मीसजाय विवज्जए ॥५५॥ छाया-औदेशिकं क्रीतकृतं, पूतिकर्म चाभ्याहृतम् । अध्यवपूरकं प्रामित्यं, मिश्रजातं विवर्जयेत् ॥५५॥ सान्वयार्थ :-उद्देसियं = औंदेशिक-किसी एकको उद्देश करके बनाये हुए अरानादिको कीयगडं = खरीदे हुएको पूइकम्म = आधाकर्मादिदोषसे दुषित ऐसे आहारसे मिले हुए को आहडं-सामने लाये हुए को पामिच्चं-उधार लाये हुए को और मीसजाए-अपने तथा साधुओंके लिए मिश्रित (भेला) करके बनाये हुए अशनादिको(साधु) विवज्जए-वरजे, अर्थात ऐसा आहार हो तो नहीं लेवे ॥ ५५॥ टीका-'उद्देसियं०' इत्यादि । १-औदेशिकम् उहेशनमुद्देशस्तेन कृत-मौदेशिकम् 'असण.' इत्यादि तथा 'तं भवे.' इत्यादि। लोकमें पाँच प्रकारके श्रमण होते हैं-(१) निर्ग्रन्थ (पंच-महाव्रतधारी), (२) सौगत (बुद्धके अनुयायी), (३) तापस (जटाधारो गैरिक (गेरुआ वस्त्र पहिननेवाले), (५) आजीवक (गोशालके मतानुयायी) । इनके लिये जो आहार बनाया गया हो वह, संयमियोंके लिये कल्प्य नहीं है, अत एव ऐसा आहार देनेवालीसे साधु कहे कि मुझे नहीं कल्पता है ॥५३॥५४॥ 'उद्देसिय०' इत्यादि । [१]-किसी को उद्देश करके बनाया हुआ आहार, औदेशिक कह. असण. त्या तथा तं भवे० छत्याहि. भi viय प्रा२न। श्रभो। डाय छे. (१) नि २ (५ यमहामारी), (२) सोजत (अद्धना मनुयायी), (3) ता५स (धारी), (४) गै२ि४ (३मा पसी परना२), (५) આજીવક (ગશાળના મતાનુયાયી). એમને માટે જે આહાર બનાવવામાં આવ્યું હોય તે સંયમીઓને માટે કપ્ય નથી, તેથી એ આહાર આપનારીને સાધુ કહે કે તે મને ४५५ता नथी. (43-५४) उद्देसियं० ४त्या (१) ४२ उद्देने मनावे आ६२ भौशि: पाय त શ્રી દશવૈકાલિક સૂત્રઃ ૧

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