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अग्निफला
अग्निमुखः
( Firs-Stone, a glint) अग्नि उत्पन्न (१) ( Premma Integrifolia ) करनेवाला पत्थर । वह पत्थर जिससे भाग निकले। अरनी-इरनी, अमेध, टेकार । (२) अग्निवधू अग्निजनक पाषाण, चकमक पत्थर ।
पूर्व देशमैं--.। सुसू०३६ अ०। (३) अग्नि-फला agni-phala-सं० स्त्री० (Cela. संशोधन । वा० उ० २० अ०। (४) शाल, strus paniculata, Willd.) AET सर्जवृत्त (५) अरणी नामक मन्त्र जिससे यज्ञ ज्योतिष्मतीलता, ज्योतिप्मती लता, मालकांगनी के लिए भाग निकाली जाती है। -हि । बडलता फटकी-बं० । थोर मालकांगनी अग्नि-मन्थादि-क्षार. तैल agnimanthādi• -म०। रा०नि० व०३।
___ksharan tail-सं० पु अरणी, सोनापाटा, अग्नि-बाव agni-biva-हिं० संशा० पु. ढाक, तिलनाल, यला, केला और अपामार्ग ।
[स० अग्नि+वायु ] घोड़ों और दूसरे चौपायों इनके चारों के पानी से सिद्ध किया हुआ तैल का एक रोग, जिसमें उनके शरीर पर छोटे छोटे |
उदररोग और वातज हृद्रोगों का नाश करता है। सावले निकलते हैं और फूट कर फैलते हैं। अग्नि-मयः agni mayah-सं० पुं० सुफेद यह रोग अधिकतर घोड़ों को होता है। (२)
विधारा, श्वेत वृद्धदारक । श्वेत विचताड़क-बं०। मनुष्यों का चर्मरोग जिस में शरीर पर बड़े बड़े |
श्वेत वरधारा-म०। वै०नि०। श्वेत बुद्धा । लाल चकत्ते वा ददोरे निकल पाते हैं और साथ |
Sec-Vidhára. कभी कभी ज्वर भी पा जाता है। पित्ती। अग्निमा admima-(Anoma squamosa) ददरा । जुड़ पित्ती।
सोताफल, शरीफा । फा० ई०। अग्निवाहुः agni-bahuh-सं० ० अग्नि-मात ayni-mata-ते. चित्रक, चीता (smoke) धूम्र।।
(Plumbago Rosea, Linn.) Filo अग्निभ agaibha-सं० क्लो
अग्नि-मांद्य agni-inandya-हिं० संज्ञा पुं०) सुवर्ण, सोना । (aurum) रा० नि० अग्नि-मांद्यम् agni-mandyam-सं० क्लो." व०१३॥
( Indigestion ) अजीर्ण, मन्दाग्नि । अग्निभा agnibhi-सं० स्त्री० celastius (Anorexia) जठराग्नि की कमी । पाचनpaliculata.-माल काँगनो।
शनि की कमी । भूख न लगने का रोग। अग्नि-भु agnibhuसं० क्ली० Gold, (Al- अग्नि-मारुति agni-maruti-हिं. संज्ञा पुं. rum) सुवर्ण | सोना । रा०नि०व०१३।
[सं०] अगस्त्य मुनिका एक नाम । (२) जल , Water (Aqua)
अग्नि-मुखम् agni-mā khain-सं० क्ली० (१) अग्नि मणि agni-mani-हिं० संज्ञा पुं० ।।
(Safflower carthamus Tincto. अग्नि मणिः agni-manih-सं० पु. ।
rius ) कुसुम्भ पुष्प, कड़ का फूल । (२) The sun stone, a glint सूर्यकान्त Saffron (Crocus) कुकुम, केशर । मणि | श्रातिशी शीशा-फा० । एक वहुमूल्य अग्नि-मुख agni.mukha-हिं० संज्ञा पु.) पत्थर । (२)सूर्य-मुखी शीशा ।
अग्नि-मुखः agni.mukhah-स. पु.॥ अनि मथनः agni-mathamsh-सं० पु. (Plumbago Zeylanica, Tinn. )
(Premna Integrifolia, Linn.) (.)चित्रक, चीता | चितंगाछ-बं०। (२) अरनी-हिं० अग्नि मन्थ, गणिकारिका-सं० ।
भिलांचा, भल्लातक । भेलागाल-बं०। (Seगणिरी या धारगन्त-वं०1 रा०नि० वा. । mecarpus anacardium, Linn.) अग्नि-मन्थ agni-naantha-हिं० सं० पु.) अग्नि-मुखः agni-mukhah-सं.पु. पारा, अग्नि-मन्यः agni-manthah-सं० पु. गन्धक, अभ्रकभस्म, ताम्रभस्म, अमलवेत,
(Gold)
ई० भा० २।
अग्निम: aguibhah-संo
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