________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रहला
(२) कुस्वा । ( Bad dream.) देखो- अह सा ahsa-अ. (ब० व०), हसा, हस्वह
(ए०३०) हरीरा, दूधी, एक प्रकार का पतला अहला ghvala-सं० सी० भन्लातक भिलावाँ ।
आहार है जो साधारणतः स बस (भसी), शकरा (Semecarpus anacardium. ) |
और बादाम तेल श्रादि के योग से निर्मित किया श० च०।
जाता है । देखो-हरीरा (hurira)! अहवाल ahvila-अ० (ब० व०) दशा, अक्ष akshah-सं.) प...
अवस्था, लक्षण । तिव ( वैयक ) की परिभाषा में अक्ष aksha-हिं० संज्ञा प [स्त्री० अक्षा] मनुष्य शरीर की तीन अवस्थाएँ अर्थात् स्वास्थ्य, (1) विभीसकी । बहेड़ा । (Terminalia रोग, तीसरी अवस्था (हालते सालसा) जो रोगा- beleriva) रा० नि० व०६। भा० म० रोग के मध्य मानी जाती है, यथा-सहजाधता ४मा० अञ्जन । “जग्ध्वाक्षकामलमायसन्तु।" श्रादि।
यमा एलादि मन्थ वृन्द० । सि० यो० सिद्ध मड़ियह ahviyah-१० (०२०), हवा (ए० मतयाग कु० काम० वृन्द० । वृन्द । (२) व. ) वायु, हवा-हिं० । ( Atmos- 1
कर्ष परिमाण | कर्ष नामक तोज जो १६ माघे phere.)
की होती है । प० प्र० । देखो-कर्षः । अह शा ahsha-० (ब० व० ), हशा (ए.
(३) रुद्राक्ष वृत्त । भा० अने० ३०। प.), वक्षांदरान्तरिकावयव, उदर एवं वक्ष के
(४) इन्द्राक्ष । ऋषभक । (१) सर्प । साप। भीतर स्थित प्रवराव । विसरा Viscera (10
(A serpent) मे०। (६) श्वास । दमा । ), विस्कस Viseus (ए००) ई०
(७) ऋषभक । (८) देव शिरीष । शिरीष नोट-(१) बसान्तरिक अवयव को अहशा सद्री
विशेष : रा०नि० व.है। एवं उदरान्तरिक अवयव को अहशा बत्नी और ! ___ क्ली० (६) विषयेन्द्रिय । इंद्रिय । रा०नि० पे अर्थात् वस्तिगररस्थ अवयव को श्रह शाउल | य० १० । वा.शा०३०। (१०) सौवर्चल भानह, कहते हैं।
लवण, कालानोम । (Sochal salt)।(११) (२) डॉक्टरी में मस्तिष्क का भी अह शा
सुस्थका तूतिया । मे. पद्विकं ।(१२) विभीतक में ही समावेश होता है।
फल । (१३) पन बीज । रा०नि० २०११ . अह शाउल आनह. ahsbaul-aavah-अ०
हिं० सज्ञा प० (१४) धुरी | किसी गोल पेन के जोन में स्थित अवयव विशेष । जैसे
वस्तु के बीचों बीच पिरोया हुअा वह छड़ चा दंड जरायु, वस्त ( मूत्राशय ) आदि वस्तिगह्वरान्तर
जिस पर वह वस्तु घूमती है। (१५) Pivot अवयव विशेष। पेल्विक विसरा ( Pelvie
पहिए की धुरी । (१६) Axis बह कल्पित
स्थिर रेखा जो पृथ्वी के भीतरी केन्द्र से होती हुई viscera.)-। श्रह शाउल बत् न ahshaul-batua-१० प्रौद
उसके पार पार दोनों ध्रत्रों पर निकली है और रीय अवयव, उदरके भीतर स्थित अवयव, उदरा.
जिस पर पृथ्वी घूमती हुई मानी गई है। शयस्थ अवयव । जैसे-श्रामाशय, यकृत,
(१७) तराजू की डाड़ी। (१८) सोहागा । शीहा तथा प्रान्त्र प्रभृति | A bdominal
टंकण ( Borax) । (१) श्रीख, नेत्र । viscera.
( An eye)। (२०) गरुड़ । (२१) अह.शाउस.सद ahshaussadra-१० वाक्षीया- FRITI ( Born blind)
वयव, वक्ष के भीतर स्थित अवयव । जैसे-हदय, | अक्षकः akshaksh-सं० प. (१) विभीफुप्फुस आदि। थोरेसिक विसरा (Thoracic तकी, बहेड़ा । ( Terminalia belerviscera)-इं०॥
_ica ) भा० पू० १ भा०। (२)तिनिश वृक्ष,
For Private and Personal Use Only