Book Title: Aayurvediya Kosh Part 01
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 876
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रहला (२) कुस्वा । ( Bad dream.) देखो- अह सा ahsa-अ. (ब० व०), हसा, हस्वह (ए०३०) हरीरा, दूधी, एक प्रकार का पतला अहला ghvala-सं० सी० भन्लातक भिलावाँ । आहार है जो साधारणतः स बस (भसी), शकरा (Semecarpus anacardium. ) | और बादाम तेल श्रादि के योग से निर्मित किया श० च०। जाता है । देखो-हरीरा (hurira)! अहवाल ahvila-अ० (ब० व०) दशा, अक्ष akshah-सं.) प... अवस्था, लक्षण । तिव ( वैयक ) की परिभाषा में अक्ष aksha-हिं० संज्ञा प [स्त्री० अक्षा] मनुष्य शरीर की तीन अवस्थाएँ अर्थात् स्वास्थ्य, (1) विभीसकी । बहेड़ा । (Terminalia रोग, तीसरी अवस्था (हालते सालसा) जो रोगा- beleriva) रा० नि० व०६। भा० म० रोग के मध्य मानी जाती है, यथा-सहजाधता ४मा० अञ्जन । “जग्ध्वाक्षकामलमायसन्तु।" श्रादि। यमा एलादि मन्थ वृन्द० । सि० यो० सिद्ध मड़ियह ahviyah-१० (०२०), हवा (ए० मतयाग कु० काम० वृन्द० । वृन्द । (२) व. ) वायु, हवा-हिं० । ( Atmos- 1 कर्ष परिमाण | कर्ष नामक तोज जो १६ माघे phere.) की होती है । प० प्र० । देखो-कर्षः । अह शा ahsha-० (ब० व० ), हशा (ए. (३) रुद्राक्ष वृत्त । भा० अने० ३०। प.), वक्षांदरान्तरिकावयव, उदर एवं वक्ष के (४) इन्द्राक्ष । ऋषभक । (१) सर्प । साप। भीतर स्थित प्रवराव । विसरा Viscera (10 (A serpent) मे०। (६) श्वास । दमा । ), विस्कस Viseus (ए००) ई० (७) ऋषभक । (८) देव शिरीष । शिरीष नोट-(१) बसान्तरिक अवयव को अहशा सद्री विशेष : रा०नि० व.है। एवं उदरान्तरिक अवयव को अहशा बत्नी और ! ___ क्ली० (६) विषयेन्द्रिय । इंद्रिय । रा०नि० पे अर्थात् वस्तिगररस्थ अवयव को श्रह शाउल | य० १० । वा.शा०३०। (१०) सौवर्चल भानह, कहते हैं। लवण, कालानोम । (Sochal salt)।(११) (२) डॉक्टरी में मस्तिष्क का भी अह शा सुस्थका तूतिया । मे. पद्विकं ।(१२) विभीतक में ही समावेश होता है। फल । (१३) पन बीज । रा०नि० २०११ . अह शाउल आनह. ahsbaul-aavah-अ० हिं० सज्ञा प० (१४) धुरी | किसी गोल पेन के जोन में स्थित अवयव विशेष । जैसे वस्तु के बीचों बीच पिरोया हुअा वह छड़ चा दंड जरायु, वस्त ( मूत्राशय ) आदि वस्तिगह्वरान्तर जिस पर वह वस्तु घूमती है। (१५) Pivot अवयव विशेष। पेल्विक विसरा ( Pelvie पहिए की धुरी । (१६) Axis बह कल्पित स्थिर रेखा जो पृथ्वी के भीतरी केन्द्र से होती हुई viscera.)-। श्रह शाउल बत् न ahshaul-batua-१० प्रौद उसके पार पार दोनों ध्रत्रों पर निकली है और रीय अवयव, उदरके भीतर स्थित अवयव, उदरा. जिस पर पृथ्वी घूमती हुई मानी गई है। शयस्थ अवयव । जैसे-श्रामाशय, यकृत, (१७) तराजू की डाड़ी। (१८) सोहागा । शीहा तथा प्रान्त्र प्रभृति | A bdominal टंकण ( Borax) । (१) श्रीख, नेत्र । viscera. ( An eye)। (२०) गरुड़ । (२१) अह.शाउस.सद ahshaussadra-१० वाक्षीया- FRITI ( Born blind) वयव, वक्ष के भीतर स्थित अवयव । जैसे-हदय, | अक्षकः akshaksh-सं० प. (१) विभीफुप्फुस आदि। थोरेसिक विसरा (Thoracic तकी, बहेड़ा । ( Terminalia belerviscera)-इं०॥ _ica ) भा० पू० १ भा०। (२)तिनिश वृक्ष, For Private and Personal Use Only

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