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मस्यूहः
अ.पू.फया प्रत्यूहः atyāhah-सं० पु. कालकराठपक्षी।। तीत | सत, रज, तम नामक तीनों गुणों से दास्यूह । मे० हनिक । See-Kalakant
पृथक। hah,.kah.
अत्रिज a trija-हिं० संज्ञा पु० [सं०] अनि के अत्यहा atyihi-संस्त्रीनीलशेफालिका-सं०1
पुत्र-(१) चंद्रमा, (२) दत्तात्रेय और (३) नील निगुगडी-हिं० । नीलिका । मेक-त्रिक ।
दुर्वासा । ( Vitex negundlo ).
अनिमातः atrigjatch-सं० पु. चन्द्र । अत्र atra-हि. संज्ञा पु. अत्र का अपभ्रंश ।। अत्रकतूस atrakabusa-यु. कड़, कुसुमबीज ।
( Carthamus tinctorius, tinn.)! अ(इ)लीफल atrifala-०० हिन्दी 'त्रिफला' फा०ई०।
से उन अरबी शब्द व्युत्पन्न है। त्रिफला अमजatraja-फा० निम्बुः । नीबू । (Citron)|
से अभिप्राय हरड़, बहेड़ा और प्रामला आदि ई. है. गा।
तीन फलों से है। अतः जिस मजून में उपयुक्र
प्रोषधित्रय पड़ती है उसे "श्र(इ)त रीफ़ल" अक्षा कुलबत्न atraqul.batn-१० पेट का
कहते हैं। मोर । म० ज०। महागलोदूस atrighālidusa-यु. शोरह
अलीफ़ल की तैयारी में यद्यपि उन समस्त जैसे-शीरह नवात, शीरह, क्रन्द । See
बातोंको ध्यान रखना चाहिए जिनका आगे म. shirah। म० ज०।
जून के प्रकरण में वर्णन होगा, तो भी इसकी भलाफ़ atrata-अ० हस्त व पाद। यह तर्फ
निर्माण विधि में उससे केवल इतना भेद है कि का बहुवचन है जिसका अर्थ "और" था 'दिशा' |
इसमें हरड़ बहेड़ा और मामला को बारीक कूट है। इसका शब्दार्थ "किनारे" है। पर |
छानकर बादाम तेल अथवा गोघृत में मलकर म्यवच्छेद शाम की परिभाषा में इससे हस्त व
चाशनी में मिलाते हैं। इससे इसकी शनि घिरपाद अभिप्रेत है। इसको हिन्दी में "शाखा"
स्थायी रहती है एवं चाशनी मत बनी रहती है। कहते हैं। एक्सट्रीमिरीज Extremities.
म० ज० । व्या०३ भा० । इं. म.ज.।
अत्रीलाल atrilal-वाजा-ना. राजिले गुराब, अलाफ उल्या atrifa-aulya-अ० उर्ध्व राजिले-ताइर-अ० खिलाले-खलील-फा० । फा.
शाखाएँ; दोनों हाधों से अभिप्राय है। स्कन्धों से। इं. भा० २ । देखो-यात रीलाल । लेकर अङ्गुलियों पर्यन्त । अपर एक्सट्रीभिटीज़ | अबन atma-बम्ब० (1) शेरवानी बूटी,
Upper Extremeties इं० । म० ज०।। खटाई, किशरू -प० । को उई-हिं० । ई० मे० अलाफ सुपला atrafa-stufla-अ० अधः मे० । Flacourtia sepiaria-ले. ।
शास्त्राएँ, निम्न शाम्खाएँ । लोअर एक्सट्रीमीटीज मे० मो०। (२) सगवानी, अरस्तू Swa: Lower Extremities-हूं।
llow wort, Prickly (Aselepias अत्रिः atrih-सं०पु० ऋषि विशेष (A Rishi)। echinata). 1 ई० है० गा० ।।
सप्तर्षियों में से एक । ये ब्रह्मा के पुत्र माने जाते अगिया atrighiya , ये शब्द "अटोहैं। इनकी स्त्री अनसूया थी । दत्तात्रेय, दुर्वासा, असफिया ataufiya फिया" से अरबी
और सोम इनके पुत्र थे । इनका नाम दस प्रजा- बनाए गए हैं। श्राहार न मिलने के कारण शरीर पतियों में भी है।
का दुबला हो जाना, क्षय, क्षीणता, कृशता । भत्रिगुण atriguna-हिं. घि [सं] त्रिगुणा- अट्रोफी A trophy-ई० । म० ज० ।
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