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प्रन्त्रालकः
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अम्लका
अम्रालकः ammilaka.h-सं० प. अम्बाड़ा, इसकं अधिक सेवन से भ्रान्ति, कुष्ठ, कफ, पाण्डु,
अमड़ा, शाम्रातक। (pondits maingi- कृशता और कार उत्पन्न होता है। रा०नि० fem.)
व० १२। पाचन, रुचिकारक, पित्तजनक, कफ अम्रवत्तः 1mrivuttith-सं०० अमावट, उनका कर्ता, रकवक, लघु, लेखन, उपशवीर्य,
in ('i'be inspisatud juicu सश में शीतल, संकायक, बदकास्क, बातof the mango.) फ.०६०।
नाशक, स्निग्ध, तीक्ष्ण, सारक तथा शुक्र, विवंधअम्रिय्यान mriyyāt - अ.
शानाह तथा स्टिगाशक और हर्षकारक है । इह शाउल बत्न (insthitil.iyat.n-०
छातिसेवन-पं भ, नणा, दाह, तिमिर, शोथ, उदरीयावयव, जैसे-प्रकृत, प्रामाशय तथा प्रांत्र
विस्फोटक, कर, पार उत्पन्नकर्ता खच्य धीर S I ( Allomiral Viscerat. ) ज्वरनाशक है। भा० पू० १ ० । लघु, पाचक, अम्रवह amthe hah-फा० अनुकक, अश्वाञ्चक पित्त, कफ, छर्दि, कैद, उ तथा वातनाशक
( l’yrus Commis, Lim. ) 1 77 है। राज. । अबुद्र का अल्पार्थक प्रयोग है । देखो-अञ्जकका :
वि० इसका शाब्दिक अर्थ खट्टा है । फा० ० १ भा० ।
हामिज़, हरज, हिम्ज... | तुर्श--फा० । अम्रन amruth-ह०प०अमरूद । A guavali
अम्बन-बं। साधर (Sm), एसिड (Acid) (Psydium Pyrifem.)
-इं०। किन्तु अर्वाचीन परिभाषा में तेजाब अनेर amrer-झलम, पं० ( Dobrogeasit |
अर्थात एसिड (Acid) द्रव या श्रद्ध _Bicolor.) मेमो० ।
के लिए व्यवहार में शाता है । देखी--एसिड। अनोद amroda-हि. प. पथरचूर । पापाण भेदी-सं० | पथरकुची-पं० । पान-गोवा-म० ।
श्रलम् amlunn-सं० क्लो० (१) अम्लवेतस
फल । (२) कांजी। (३) घोल । रा०नि०। (Colcus Aromaticus.)
(४) बदरफन्न | सिक० अरोचक चि। अनाला amroJi-हि० चूका बा चांगेरी, श्राम- |
(५) वर्वर चन्दन । रा०नि० २० १२ । ali ( Runex Acutosa. )
अम्लकः amlakah-सं० पु०, हिं० संज्ञा पु. Asia F1 97 amrolá-ká-satta ,
बड़हर ! लकुच वृत्त । (Artocial plus Litअम्रोला सत्य amroli satva
।
koocha ) -हिं० पु काष्टाम्ल, चूका का सत, चुक्र सत्त्व, चुक्राम्ल 1 Oxalic Acid ( Acidum
अम्ल-कन्द: amla-kandan-सं० पु. एक Oxalieum.) देखो-चुक।
जंगली बूटी की जड़ है, जिसके पत्ते पान के
समान और पुप्प सफेद तथा फल लाल मिर्च के अम्लः amah-सं० पु., हिं० संज्ञा पु
तुल्य लम्चे और बीज नीबू के बीज के सरश जिला से अनुभूत होने वाले छः रसों में से |
होते है। एक । खटाई । जैसे-जम्बीर मातुलुङ्ग नथा | निम्बुक प्रभति ।
अम्ल-करवः amla-karan jah-सं० प. गुण-लघु, उष्ण, रुचिकर, दीपन, हृदय
करजभेद । टक् करना-पं०इसका फलको नर्पण करता, वातानुलोमक, रलकारी, कण्ठ
तृष्णानाशक, गुरु, रुचिकारक और पित्तकारक है। में दाह उत्पन्न करता है। रा.नि.व.२० राज.। ( A kind of karanja) इसका विपाक अम्ल तथा गुण में पित्तकारक अम्लका amlaka-सं० स्त्री०(१)पालंकशाक
और वात कफ के रोग को दूर करने वाला है। प० मु० । (२) पलाशीलता। रा० निक सु० सू०। प्रीतिकारक, पाचन, प्रार्द्रताकारक, । व०४।
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