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अडिस
वाहून, मरिच, रामरम् ( हींग ), मधुर, अम्ल, तथा तिक पदार्थ, देहमार्जनी रुचि रोगी के लिए ये द्रव्य हितकारक अर्थात् पथ्य हैं । अपथ्य - काम, उद्गार ( डकार ), सुधा, नेत्रवायु तथा वेगों का रोकना, श्रथ अम सेवन, रक्तमोक्षण, क्रोध, लोभ, भय, दुर्गन्ध रूप का सेवन अरुचि रोगी के लिए अपथ्य हैं । अरोडिस arodis- श्रण्ड चिकरस्पी-बं० | बीता, अ arga सहर sahra
पोमा श्रासा० ।
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अरोहन arohana - हिं० संज्ञा पुं० दे०आरोहण ।
अरोहना arohana - हिं० कि० श्र० [सं० श्रारोहण ] चढ़ना, सवार होना । श्ररोही arohi - हिं० वि० [सं० आरोही ] सवार होने वाला |
संज्ञा पुं० [सं०] आरोही ] आरोही,
सवार ।
अरंघुषः
aranghashah-सं० पुं० तुम्बा ( कड़वी तुम्बी ) । अथर्व ० | सू० ४ । ४ ।
का० १० ।
अर्कः arkah-सं० पु० अर्क arka हिं० संज्ञा पु ०
} ( 1 ) आक,
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कन्द, मन्द (द) - हिं० । श्राकन्द गाछ-बं० ! रूद-मह० | अक्के-क० । जिल्लेदु चेदु ते० । ( Calotropis gigantea, syn. Asclepias gigantea. ) रा० नि० च० ११ । भा० पू० १ भा० । मद० ० १ । ( २ ) ताम्र, तामा, ताँबा (opper Cuprm1.) मे० किं० । श्रलोक्यडम्बर रस । बै० नि० वा० व्या० त्रि० चिन्तामणि रस । ( ३ ) स्फ टिक, फिटकिरी | Alum ( Alumen. ) मे०कद्विकं० । ( ४ ) श्ररुणार्क, लालमन्दार । ( Calotropis gigantea, the rod var. of) प० मु० भा० पू० १ भा० । (५) श्रादित्य पत्र पुष्प, श्रादित्यभना, हुलहुल् । ( Cleone viscosa, Linn.)। रा० नि० व० ४ | "अकों रक्तपुष्धः प्रसिद्धः" । सु० सू० ३७ म० श्रर्कादिव० । ३६ श्र० शिरो०
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चि० । (६) यन्त्र द्वारा परिस्रुत किया हुआ द्रव्य सारांश |
देखो - अर्क या अरक । थारक - बं० । ( Aqua ) | ( ७ ) सूर्य ( lhe sun ) | (5) किसी चीज का निचोड़ा हुआ रस । सँग स्वरस | Juice ( Sueens) देखो - श्रर । वि० [सं०] पूजनीय ।
- अ० श्रनिद्रा, निद्रानाश, नींद
न आने का रोग - हिं० । पर्विजिलियम ( Per vigilium ), इन्सोम्निया ( Insomnia ) - ई० | देखो-लहू |
अर्क dark so अवमती, ऋतुमती होना, स्त्री का मासिकधर्म होना, ऋतु स्नान करना । ( Menstruation ) अर्कaarg - नज्द ० ( १ ) शुष्क वा अर्धपक छुहारा ( Dried or half matured date )। - अ० ( २ ) भपका ( वारुणयन्त्र) द्वारा परिस्रुत वारि । निर्मल परिस्त वारि जो श्रौषधों से raण क्रिया द्वारा प्राप्त होता है। वह पानी जो श्रीज, मूल, पुष्प श्रर पत्र आदि से विशेष विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है । श्रर्कः सं० । श्रर्क - हिं० । fefizes are Distilled water.- ई० । एक्का डिस्टिलेटr Aqua distillata. ले० । अरक - अ० ।
नोट- अर्क खींचने में जिस क्रिया का अवलम्बन किया जाता उसको स्त्रवण ( चुश्राना ) विधि कहते हैं । इसी विधान द्वारा शुद्धास एवं तर भी प्राप्त किए जाते हैं । और जिस यन्त्र द्वारा उक क्रिया सम्पन्न होती है उसे नाड़ीयंत्र वा वारुणी निर्माण में प्रयुक्र होने के कारण वारुणीयंत्र कहते है । पूर्ण परिचय हेतु क्रम में उन शब्दों के सम्मुख अवलोकन करें ।
खींचने का संक्षेप इतिहास - श्रार्यों के उन्नति काल में सन्धान विधि द्वारा फलों और कतिपय वनस्पतियों के आसत्र प्रस्तुत किए जाते थे । परन्तु, क्रमशः बिना सन्धानके ही वारुणीयंत्र द्वारा बीज, पत्र एवं कान का प्रभाव
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