Book Title: Aayurvediya Kosh Part 01
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 854
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मस्थिमतः अस्थिसाता अस्थिमतः asthi-bhakshath-सं० पु. (पृक्ष के नीचे का) भाग । यह बहुत ठोस, कठिन (१) कुक्कुर, कुत्ता (A dog.) । (२) और मजबूत होता है । इसका ही अस्थिवरक कहते TIITTI (A jackal ) gitto: अस्थि भक्षा asthi-bhakshi-सं० रा. पर्ण- अस्थि विकाश ustri.vikasha-हिं० संज्ञा पु. बीज, ओषधि विशेष, हेमसागर । घायमारी, (Ossification.) अस्थि बनना । तथा ज. घायपात-मह ज़हमे हयात-फा (Kalan- --अ०। chr laciniata, D. C.) वै० निध० । अस्थि विकाश केन्द्र asthi.vikasha-kenदेखो-ज़ख़्मे हयात। dra-हिं० संज्ञा पु सेण्टर श्रॉफ अस्थिभेद asthi.bheda-हिं० संज्ञा पु० अस्थि । प्रॉमिनिकेशन ( Centre of Osiभंग हड्डी का टूटना ( Fracturing, breu fication. ) ई. । मकं तशजमिय्यह.. king or wounding a bone.) -अ० । यह स्थान जहाँ कारटिलेज । कुरी ) के अस्थिमा asthi-majja-हिं० ० (Bone.i __ भीतर सबमे पहले अस्थि बनती है, अस्थिवि. . marrow.) अस्थिसार । देखो-मरा। काश केन्द्र कहलाता है। अस्थिमय गहनम् asthim.iyu.guhanam अस्थिवेष्ट asthi-vasht...हि. संज्ञा पु. -सं० लो० प्रस्थिकृत् अन्तःस्थ कर्ण । (Osse. i श्रवमध्यानरक, अस्थियों के ऊपर सौनिक तन्तु से ous labyrinth.) निर्मिन चढ़ी हुई एक झिल्ली विशेष। (Periअस्थि मम्मे astiii-imarnunu-सं० ली । _osteum) सिम्हाक-अ० । मर्म विशेष । ये संख्या में पाठ हैं। यथा---कटि | अस्थिशोथ asthishotha--हिं० सज्ञा प... में तरुण नामक २, नितम्य में २, असफलक में अस्थिपदाह । (Ostoitis ) २ तथा दो दोनों शखा (कन पुटियों) में हैं । सु० अस्थिशोष asthis :osh -हिं० संज्ञा शोष . शा०५ अ०। रोग, सूखा रोग, अस्थि नैवल्य । ( Dryness अस्थिर asthiru-हिं० वि० इसका & decay of the bones; rickets.) शाब्दिक अर्थ चंचल, अस्थायी (Usteady, अस्थिकला-लिका asthi shrinkhala,Unstable, ) है, किन्तु वैद्यक की परिभाषा lika-सं. स्त्री. अस्थिसंहार । हड़जोड़, में इससे अभिप्राय उस संधि से है जिसमें गति अस्थिशृङ्खल-हिं । हाइजोड़ा-य० । गुण-वृष्य, हो सकती है अर्थात् चल या चेपटाबंत संधि ।। श्ले'माजनक, मधुर, रक्रपित्त और वायुनाशक ( Moveable-joints. ) देखो है। मद० ब०७१।। संधि । अस्थिरूवातः asthi-sanghatah-सं. पु. अस्थिर कठोरता asthiya.kathorata-हिं० ! अस्थिमेलन स्थल, हड्डी के शृङ्गादक। ये 10 इस संज्ञा पु. ('Temporary hardness.) प्रकार हैं, यथा तीन-तीन एक-एक पाँव में ( एक सणिक कठिनता । अस्थायी करता। गुल्फ, एक घुटमा तथा एक जंघामूल में )* अस्थिर, वृr asthiszt-vrikka-हिं० संज्ञा पु. और ३-३ एक एक हाथ में (, पहुँचे, । कुहनी (Moveable kilingy) गतिमान वृक और १ खोदे में) अर्थात् कुल १२ हुए। एक विशेष। निक स्थान में और एक शिर में ऐसे सब १४ अस्थिवत् asthivat-दि० वि० अस्थि के समान, हए (किसी किसीके मत से ये अस्थिसंघात 12 हड्डी जैसा ! ( Bolly, OASDOS. ) होते हैं अर्थात् १४ प्राक्कथित और १ पत्र में अस्थिवल्क sthi-valka-हिं०संज्ञा (Cor. ! जिसे कौड़ी कहते हैं तथा ! दोनो नितम्बों के tex of bone.) अस्थि का सबसे बाहर का | बीच में जिसे दूढी कहते हैं और दो दोनो अंसकटो For Private and Personal Use Only

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