Book Title: Aayurvediya Kosh Part 01
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
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महिनमः
८२६.
महिला,ला गंधा ! शस्ना विशेष--० । सापगंध-मह । गुण-पीडाजनकत्व । वा० सू०७०। (See-STHpa-gandha) ब. निघ। अहित्थः hitthah-सं०५. वनमेथिका, वन
(२) इशरम्ल, ईश्वरचून । (Iris root.)| Aut ! Trigonella fanart grec. अहिच्छत्रः hi.chchhatith--सं. पु. मेष. um (Wild vir.of..) मद० २०२।
श्रृंगी, मेदासिंगी। See Ajashringi. |अद्विद्विट allidvir-सं० प (१) नकुल, अहिच्छत्रा :.hi-chchhatra-सं० खो(१)
नेवला fungoose ( Viverrn ichn. शताहर सुप, सौंफ। मौरी.शुल्फा--01 (Pin
eumon.) (२) मयूर, मोर । (A pea. pinell : nisum.) रा० नि० ब० ४ ।
cock ) (२) शकंरा, चीनी हि० । चिनि-बं० । Sur
अहिनिमें कः ahinirinokah-सं० प. सर्प gar ( Saccharine. ) रा. नि० |
| मिोक, सर्प कञ्चक, सँप की केचुली । भा०। व० ४।
अहिनी hini-स. श्री. सर्पिणी, सॉप की अदिछार :hi-chhāra-हिं० सज्ञा पु. साँप का मादा, पिम । (A female snake.)
विष, सर्प विष । ( Snake poison, जातिaninati-सं.सिंहा सापांकर ___venom.)
राजा, वासुको । अहिजाहकः ahi jalaikahसं० पु. ऋक
"| अहिपत्रक: a hi-putr.k.h-सं० पु. निविष लास (See..kriklasa.) काकलास-बं०।।
___ सर्प विशेष | (A kind of nonpoisono वनित्र
_us sn ke.) अहिजिह्वा ahi-jihvi-हिं० संज्ञा स्रो० [सं०]
अहिपुम्रकahiputrakah-सं० प तरालु, नागफनी ।
नौका विशेष । हाग । महिजिलिका ahi-jihviki-सं. स्त्री. महा शतावरी । बा शतमूली-५० । ( Aspar:
अहिपुष्पम् nhipushpam-संकलो.)नाग
केशर पुष्प । Mesun ferrera ( Flower gus racemosi.) 4. निघ० । भहित hita-हिं० संज्ञा पु'• बुराई, प्रकल्याचा
of-) 4. द०। (२) कुम्भोका तेल । सु.
चि.३७५० । वि० [सं०] (१) शत्रु, वैरी, विरोधी । (२)अपथ्य अनुपकारी, हानिकारक (adverse, inin-महिपूतनः,-
नाb iputanab.--ni-सं० ical, acting unkindly. )
पु.,सा. बाल रोग भेद, शिशु गुराइन,नना । अहितकारी ahitakiri-हिं० पु. भहिस पथा-मल मूत्र से सनी हुई बालक की गुदा को करने वाला, शत्रु ! ( Inimical.)
न धोने से या पसीना पाने से अथवा स्नान न पहित द्रव्यम् ahita dravyam-सं० ०
करने से रुधिर और कफ दूषित होकर खुजली अपथ्य पदार्थ, अहितकारक ट्रम्य ।
की उत्पन करते हैं फिर खुजाने से रकान
फुन्सिया हो जाती हैं और उनमें से महितपदार्थः ahiti padarthab-सं००
प भहितकर अर्थात् हानिकारक पदार्थ ।
निकलता है। फिर वह सब फुन्सिया एकत्रित
होकर छत्ता सी हो जाती हैं, तब इस भयंकर रोग __ ये निम्न है, जैसे - वृद्ध रमणी, पूति (दुर्ग
को अहिपूतना कहते हैं । मा० नि० सदरो। धित ) मांस, प्रभात निद्रा, मैथुन और दधि प्रभृति ।
महिप्पन ahippan-अफीम। ( Opium.) अहिताहार: ahitihārah-सं०५... अहितकर |
• मे० मे. .. इण्य भक्षण, अहित भोजन, अहितकारी पदार्थ अहिफखः,-ला ahiphalkh,-11-सं. '०,
। मो० दीर्घ कर्कटिका, चिपिएका । जम्मा काकुर
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