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अर्क लोडा मुरकंब व सम्मुल्फार
मात्रा व सेवन विधिमध्याह्न १-१ तो० ।
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प्रातः सायं व
गुण-धर्म-सूजाक के लिए यह श्रस्यन्त लाभजनक सिद्ध हुआ है। इसे व्यवहार में लाने से मूत्रदाह, वेदना, रक्त, पीव तथा क्षत सम्बन्धी सम्पूर्ण शिकायतें दूर हो जाती हैं ।
नोट -- हिन्दुस्तानी दवाखाना देहली का ख़ास नुसता है जिसे जनाब मसीहुल्मुल्क हकीम श्रज्मनों साहब ने अपनी असीम कृपा से अपने गुत योगों में से प्रदान किया था । अर्क सोडा मुरकय अ सम्मुल्फ़ार ãarq-sodá murakkab ba sammulfar-o ( Liquor sodii arsenatis ) देखोसंखिया ।
भ्र
अ सोय āarq soy
-श्र०
fafaa aarq-shibbit अर्क शक्तिaarq shavid-t ] ( श्रा) का अर्क। Dill water ( Aqua anethi) देखो - शतपुष्प
सौंफ aarasounf 30 सौंफ का अर्क | Anise water ( Aqua anisi) देखो - सौंफ
सोया
faat gaarq-sankhiyá tursha -श्र० ( Liquor arsenici hydrochloricus) देखो - संखिया ।
६४१
श्रृ हड़ताल āarq-haratal 。 हड़ताल का अर्क | देखो- हरिताल ।
अर्क हराभरा जदीद aargharabhara jadid-अ०
योग निर्माण क्रम-लाल व सफेद चन्दन, खश, पद्माख, नागरमोथा, हरी गिलोय, शाहतरा, नीम की छाल, गुल नीलोफ़र तुख्म कासनी, सौंफ, क के बीज, नेत्रवाला, धनियाँ, तुलसी के बीज, बहेड़े की जड़, इक्षुमूल, जवासा की जड़, कासनी की जड़, धमासा, मुलेठी, मुण्डी, इलाची छोटी, कोकनार ( पोस्त का डोंड़ा ) हरएक एक तो०, रात को जल में भिगोकर यथा विधि |
= १
अर्क हाजिम
'परित करें | पुन: इस अर्की में उपर्युक्र औषध भिगोकर दूसरे दिन दोबारा प्रक परित करें |
मात्रा व सेवन विधि - १॥ तो० उपयुक्र श्रौषध के साथ
गुणधर्म --- राजयक्ष्मा में अत्यन्त लाभदायक सिद्ध हुआ है। मूत्र दाह, सूज़ाक और मूर्च्छा के लिए भी गुणदायक है तथा उत्तमांगों को बल प्रदान करता है | प्रधान गुण - राजयक्ष्मा के लिए विशेषकर लाभप्रद है ।
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अपथ्य - उष्ण युवं शुष्क वस्तु ।
नोट- यक्ष्मा के लिए जनाब मसीहुल मुल्क हकीम अजमल ख़ाँ साहब का मुख्य नुसता है । हाजिम aarg házin
अर्क हाज़िम जदाद aang hazim jadia }
-- ० पाचकार्क
१८ मा०,
निर्माण विधि बबूल की छाल १० सेर, किशमिश हरा, तथा मिश्री प्रत्येक ५ सेर, लहसुन, लौंग प्रत्येक १ तो०, ऊद ग़ २ तो०, सफ़ेद चन्दन २२ मा०, बीव बनफ़्सा सुदकोफ़ी ( नागरमोथा ) १० मा०, पोस्त तुरख ४ तो०, ब्रहमन सफ़ेद व लाल, शक़ाकुल, सालवमिश्री, तेजपात, दालचीनी, गुलगाव बान हरएक २ तो०, खस ४ तो०, बड़ी इलायची का दाना ५ तो, जायफल, जावित्री, हरएक २ तो०, केशर १ तो०, अम्बर ६ मा०, अम्बर व केशर के सिवा शेष सम्पूर्ण औषधों को रात्रि भर उष्ण जल में भिगोकर प्रातःकाल १० बोतल अर्क परिस्रत करें । केशर व अम्बर की पोटली अर्क खींचते समय नीचे के मुँह में रख दें । इस पर्क में समग्र औषधों को पुनः तर करके फिर दस बोतल अर्क खींचें ।
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मात्रा व सेवन विधि-सवा तो० यह अर्क किसी उपयुक्त शर्बत के साथ या वैसे ही पिलाएँ ।
गुण-धर्म- - श्रामाशय के सम्पूर्ण दोषों को दूर करता है । पाचक, क्षुधावद्धक, शरीर में