Book Title: Aayurvediya Kosh Part 01
Author(s): Ramjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
Publisher: Vishveshvar Dayaluji Vaidyaraj

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Page 839
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अली अरुखी asakhi-सं० स्त्री० श्रयुग्म । ( Azy gos ) - श्र० । असमन्द asaganda असगन्ध asagandha (Physalis flexuosa.) असगंध बाहरी asagandha-chách!riri( 1 ) az, mix, ay | (Ficus Bengalensis. ) श्रसाधु-म० । ( २ ) असगंध | ( Withania somnifera. ) i ७६७ -हिं० संज्ञा पु ं० अश्वगंधा | असजद āusa.jada - ० ( १ ) सुवर्ण । सोना - हिं० | Gold ( Aurm ) | ( २ ) जवाहिरात ( जैसे-याकृत, जबरजद आदि ) ((Gems.) । ( ३ ) स्थूल वा मोटा ऊँट ( A tnt camel ) असजर āasajurao टिड्डी (A locust ). असढ़िया asadhiya - ० संज्ञा पुं० [सं० अपाद ] एक प्रकार का लंबा सांप जिसकी पीठ पर कई प्रकार को चित्तियाँ होती हैं। इसमें विष बहुत कम होता है। असथन asathana-हिं० संज्ञा प ु० [?] जायफल - डि० | 1 अखनः asanah सं० प० असन asana-हिं० संज्ञा पु ं० ( १ ) विजयसार, बीजकः । Pterocarpus inar. sxpium, Ro... । 'देखो - विजयसार | भा० पू० १ भा० बादि व० (२) छाग कवित् पत्रशाल वृक्ष विशेष, पीतशाल, पीतशालः । प० मु० । असन, असना, शासन असन । र० प्रा० रत्ना० । पियाशाल - हिं० | Terminalia tomentosa, Bedd. 1 - बं० I अनू, असखा, वड़ सुरिया -मह० । संस्कृत पर्याय -- परमायुधः ( श ), महासज्ज, सौरिः, बधूक पुष्पः प्रियकः, वीजवृत्तः लीनकः, प्रियसालकः, अजक, वने सर्जः । "असनो वीजकः काख्यः स्वनामाख्यातः । सु०सू० ३८ श्र० । गुणु कटु, उच्ण, तिक्र, वातनाशक, सारक तथा गलदोष नाशक है । श० ०ि ० ६ । २३ । कुष्ठ, विसर्प, श्विन ( कुष्ठ " : असमपूर्णिका, भेद ), प्रमेह, गुल कृमि, कफ तथा रकवित. नाशक हैं और स्वच्य, केश्य तथा रसायन है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मा० पू० १ भा० वटादि ० | सि० ० रा०य० चि० पुलादिमन्थ । वृन्द० । “निम्बासन शाल सारान् ।" वा०सू० १५ अ० असनादि व० | "असन तिनिश भूर्ज ।” भा० म० ४ भा० योनिरोग चि० । “स्वर्जिकोग्रसनं त्र्यहम् "।" देखो - श्रासन (३) जीवक | मे० नत्रिक । ( ४ ) वक वृत्त, श्रगस्तिया (Agatigrandiflora. ) । (१) वीत आदि | -लो० ( ६ ) क्षेपण | मे० ननिक | i 1 नोट- प्रायुर्वेदीय निघंटुकार प्रायः श्रासन और विजयसार दोनों का वर्णन संस्कृत शब्द असन के ही अन्तर्गत किए हैं; परन्तु परस्पर बहुत कुछ समानता रखते हुए भी ये पृथक् पृथक् द्रव्य हैं। अस्तु, इनका वर्णन यथा स्थान किया जाएगा। श्रायुर्वेद में असन उपयुक्त दोनों संज्ञाओं के पर्याय स्वरूप प्रयुक्र हुआ है, जिनमें से (१) श्रासन, असना-हि० | आशान पियाशाल- बं० । (Terminalia tomentosa, IV. & A. ) - ले० । और ( २ ) वि(चि) जय(जे) सार, वीजक, बीजा-हिं०, पीतशा (सा) ल -do Pterocarpus marsupium, 7. C. (Indian kino tree) -ले० है । इसके निर्यास को हिन्दी में विजयसार निर्याय या हगदोखो तथा झरवी में दम्मु अवैन हिंदी और लैटिन में Pterocarpus mar• supium, D. C. (Gum of- Indian kino.) कहते हैं । काइनों के पर्याय -नम्मुल अ हिं० | खूने सियावसान फा० | kino (The drug-Draggons' blood. ) : अलन asana- जल का स्वाद तथा बुल जाना । असन ãasan8-० पुरातन वसा | (Old fat.) असनपर्णिका - र्णी asana-parniká,-rni - सं० स्त्री० ( १ ) अपराजिता - सं०, For Private and Personal Use Only 4 ० !

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