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अर्जुन त्वक्
अर्जेण्टम् भा० । रस. र.। मूछित घृत . श०, अर्जुन ।
रास्ना, मजीठ, भिलावाँ, अगर, मोथा, कूट, स्वरस १६ श. (अथवा १४ पल अजुन की ! चीता, चन्दन, खस, गोखरू और सफेद कत्था । छाल को ६४ श० जल में यहाँ तक पकाएँ कि इनका क्वाथ कर, उसमें नवीन परवल, हलदी, १६ श० जल शेष रह जाए । बस इसको छान
हरड़, बहेड़ा, श्रामला, पाखान भेद, अर्जुन, कर घृत में सम्मिलित करें) और अर्जुन अजमोद, लोध, मजीठ और अतीस इनका कल्क त्वकल्क श०, इनको एकत्रित कर धृत पाक
डालकर पकाया हुआ घी 'अजु नाय घृत' कहविधि से पकाएँ। च.न. द्रोग-चि०।
लाता है। मर्नु नत्यक् arjuma-tvak-सं० स्त्री० भजन | गुण-इसे सेवन करने से पित्त सम्बन्धी
अस्कल, अर्जुन की छाल । 'Terminalia. प्रमेह नष्ट होते हैं। arjuna ( Bark of-)। च०६० भ०
नोट-इसी क्वाथ तथा कल्क से पकाया सा०चि. शवयादि।
हुआ तैल "अजुनाच तैल" कहलाता है । 4717caan: arjuna-tvagáidi-lepa bi
गुण-उन तैल को व्यवहार में लाने से कफ सं० पु. अर्जुन की छान, मजीठ, वृष (बाँमा)
तथा वायु सम्बन्धी प्रमेह दूर होते हैं । भा० म० को पीस शहन में मिलाकर लगाने से माई और !
३ भा० मेह० चि। म्यंग का नाश होता है। वृ० मि. र. अर्जुनाद्य क्षारपाकम् arjunadya-kshira. अर्जुन नामाख्यः arjuna-nāmākhyah
paka !!-संक्ली. अर्जुन (कहुश्रा) को छाल सं०० अर्जुन वृह, काहूका पेड़। 'Termi
लेकर गोदुग्ध में पकाकर पीने से हृदय रोग
का नाश होता है। वंगसे० सं० हृदरो० nalia arjuna ( Tree of- ) A10
चि०। अर्जुनसुधा arjuna-sudhā-सं० स्त्री० !
अजुनी arjuni-सं-स्त्री०, (हिं० संज्ञा स्त्री..) अर्जुनोरथ सुधा, अर्जुन काष्ठ का चूर्ण
(१) सफेद रंग की गाय । अथर्व० । सू० ३। (बुरादा )।
का २० । (२) उषा । गुण-अर्जुनोत सुधा कफ को नाश करने ! अजनी arjuni-सं० स्त्री० गवि, गाय, गो । वाली है। वै० निघ० । द्रव्यगुण।
(A. cov.) मे० नत्रिक । अर्जुनाख्यः aljanākhyah-सं० पु. (,)! अर्जुनापमः arjunopamah-सं०० शाक
काशतृण, कासा । (Saccharum sponti द्रुम (A potherb in genera}.)। aneum.) २० मा०। (२) अर्जुन वृत, शेगुन गाछ-बं०। २० मा० । (२) शाल वृक्ष कह का पेड़। 'Terminalia arjuna. (Shorea robusta.) रत्ना। ( Tree of-).
अर्जुना arjunna-अव० श्राछ-नैपा०। अजनादः arjunādah-सं० नि० वर्भकाश परोकपी-भासा | गणसूर-मह । भूटन-कृसम खादक । च. चि०२०।
-ते० । थेत्यिक-बर० । क्रोटन अन्लाँगिफॉअर्जुनादि क्षीरम् arjunādi-kshiram-सं० ।
लिअस ( Croton oblongifolius, क्ली० दूध को अजुन की छाल दालकर
Roxb.) ले०। पकाकर पीने से पित्त जन्य हृद्रोग दूर होता है।। गुण-इसका तैल एवं छाल औषध कार्य में यो. २०।
पाती है । मेमो०। अर्जुनाचघृतम् arjunadya-ghritam आर्जेण्टम् argentum-ले० चाँदी, रजत, मजुनाच तैलम् arjunadya-tailam रौप्य-हिं० । फ़िज़ह-अ० । नुकह-फा० ।
सं० वी० अर्जुन, परवल, नीम, वच, अजवाइन, (Silver.)
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