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अरशमरम्
श्ररस्त्
मरशमरम् ansha-malam-ता० अश्वत्थ, अपसीना alasi nāकना० हरिद्रा, हलदी । .. पीपल वृक्ष । ( Ficus religiosa.) ई० (Curcuma longa). मे० मे.!
अरसीना उन्मत्त rasinaummattu-कना० अरशा arasha-एक हिन्दी बूटी है जिसकी. उँचाई पीला धतूरा, पीत धुस्तुर । ( Yellow
मनुष्य के बराबर होती है। शाखाएं घास की variety of Datura.) तरह ग्रंथियुक्त होती है। पत्तियाँ भी तृण । अरसुसा arasāsā-यू० कनौचा भेद, कोई कोई समान तथा पुष्प बनकशा के सदश किंतु, उससे जंगली गाजर को कहते हैं। भिन्न वर्ण का होता है । फल इलायची के समान
अरस्तन instan-फा० यूनानी संज्ञा श्राइरिस त्रिपाकार होता है । लु० क०।
(Iris ) इसीसे व्युत्पन्न है। देखा-पष्करअरस arasa-हपु(व)पा, अर्दज, अभल, हाऊबेर ।
मूल । फा० ई०३भा० । (Juniperus chinensis.). ई०हेगा० अरस्ता तालीस yasta-talis-अ० । अरस aras ता० पीपलवृक्ष, अश्वस्थ । (Fieusi अरस्त् arastu-अ०
religiosa.)। -हिं वि० [सं० अरस j! अरिस्टॉटल(Aristotle) अरस्तूका जन्म सन् नीरस, फीका । ( Imsipid).
ईस्वीसे ३८४ वर्ष पूर्व ऐस के इलाके रस्तागीर अरस uras-काली सम्भाली, बाकस । (Justi- नामक स्थान में हुआ था। सतरह वर्षकी अवस्थामें
cia gendarusssa.) ई० है. गा० । यह हकीम अफलातून के शिक्षालय में सम्मिअरस a1as-अ० य— अ, घूस, धूइस । A bih. ! लित हुए और पूरे २० वर्ष तक दर्शनशास्त्र का
ndicote rat ( Mus gigautous ). अध्ययन किए और उनका पारंगत शिप्य बने। अरस: arasah-सं० पु ...
४३ वर्ष की अवस्था में अरस्तू सिकन्दर आजम ह(1) रस रहित ।
के गुरु हुए । इनमें भीतिक वस्तुणी के अन्वे. अरसम् arasam--सं० क्ली
पणकी प्रबल इच्छा थी । इन्होंने अलेक्जेण्डरिया (२) विष रहित । अथर्व० । सू०६ । ।
में एक महाविद्यालय की स्थापनाकी जहाँ से सुप्र. का. ४ । अथवं० । सू० २२ । २ । का० ५।
सिद्ध एवं प्रकांड विद्वान् उत्पन्न हुए। यह दर्शनअरसमरम् arasa-marah - ता० अश्वत्थ,
शास्त्र के तो प्रमुख पंडित धे, परन्तु वैद्यकशास्त्र पीपल वृक्ष । (Ficus religiosa).
में इनका पद बुकरात (lippocrate) अरसा ai asa-ता. पीपलवृक्ष, अश्वत्थ ! (Fictus
से अत्यन्त निम्न कोटि का है। व्यवच्छेद व ___religiosa.)
इन्द्रियव्यापारशास्त्र सम्बन्धी इनके कतिपय अरसाः arasāh.-प्राण रहित । अथर्व । सु. |
असत्य सिद्धान्तों का जालीनस ने खंडन किया ३१।३१ का०२। अरसास arasās-सं०निर्बल।
इनके मुख्य मुख्य सिद्धांत निम्न थे--- का०१०।
(१) यह हृदय को प्राकृतिक जन्मा का उद्गम मरसिवणदह विणणु arasivanadah-ri- और रूह हैवानी का स्रोत मानते हैं। (२) __nanu- का० सहिजन, शोभांजन | (Mor
इनके मतानुसार फुप्फुस हृदय को वायु प्रदान inga pterygosperma )
करता है। (३) धमनियाँ हृदय से रूह हैवानी अरसी arasi--हिं० संज्ञा पु० [सं० अतसी] को सम्पूर्ण शरीर में पहुँचाती हैं और (४) अलसी, तीसी । देखो-अतसी।
शिराएँ यादीय शोणित से सम्पूर्ण शरीर अरसीन arasina--कना. जहरीसीनतक को श्राहार प्रदान करती हैं इत्यादि।
--मह०। ( Allananda catharti- __ परन्तु प्राश्चर्य तो यह है कि अाज दो सहर va, Linm.) फा०ई०२भाव।
वर्ष पश्चात् भी उनके ये असत्य सिद्धांत यूनानी
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